
थॉयराइड हार्मोन के अधिक स्राव के कारण दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, इसके कारण हृदयाघात और आट्रियल फाइब्रीलेशन जैसी दिल की बीमारियां हो सकती हैं।
थॉयराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्योंकि इस बीमारी के लक्षण एकसाथ नही दिखाई पड़ते, यह धीरे-धीरे व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करता है। इसके कारण दिल भी प्रभावित होता है, क्योंकि यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है और लीपोप्रोटीन का स्तर भी बढ़ जाता है। इसका असर दिल के अलावा दिमाग, मांसपेशियों, तनाव, मोटापा आदि पर पड़ता है। अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाये तो इसके कारण मौत भी हो सकती है। इस लेख में विस्तार से जानिये कि थॉयराइड हार्मोन की अधिकता के कारण दिल कैसे बीमार हो जाता है।
थॉयराइड क्या है
थॉयराइड एक तरह की ग्रंथि होती है, जो गले में सामने की तरफ पायी जाती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। हम जो भोजन खाते हैं यह उसे ऊर्जा में बदलने का काम करती है। इससे खास तरह के हॉर्मोन टी-3, टी-4 और टीएसएच का स्राव होता है। इसकी मात्रा के अंसतुलन का असर हमारे पूरे शरीर पर पड़ता है। शरीर की सभी कोशिकाएं सही ढंग से काम कर सकें, इसके लिए इन सभी हार्मोन की जरूरत होती है। मेटाबॉलिज्म की प्रकिया को नियंत्रित करने में भी टी-3 और टी-4 हॉर्मोन का बहुत बड़ा योगदान होता है। अगर थॉयराइड ग्रंथि कम एक्टिव है तो इसके कारण हाइपोथॉयराइडिज्म और ओवरएक्टिव होने पर हाइपरथॉयराइडिज्म पर ध्यान दीजिए।
थायराइड का दिल पर असर
थॉयराइड ग्रंथि के सही तरीके से काम न करने का असर दिल पर भी पड़ता है। इसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन का स्तर अनियमित हो जाता है, जो दिल की कार्यविधि को प्रभावित करता है। इसके कारण दिल की बीमारियां, हृदयाघात, अवसाद और आर्थेरोस्क्लेरोसिस, आट्रियल फाइब्रीलेशन होने की आशंका बढ़ जाती है।
आट्रियल फाइब्रीलेशन
अगर किसी व्यक्ति की थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से कार्य नहीं कर रही है तो इसके कारण कारण आट्रियल फाइब्रीलेशन हो सकता है। यह ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति के दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इस समस्या में दिल को सही तरीके से रक्त की आपूर्ति नहीं होती है और पूरे शरीर में रक्त का संचार प्रभावित होता है। अगर यह समस्या अधिक दिन तक बनी रहे तो इसके कारण खून के थक्के जमने लगते हैं और दिल के दौरे की संभावना भी बढ़ जाती है।
आट्रियल फाइब्रीलेशन के लक्षण
थकान लगना, तेजी से या धीरे-धीरे दिल की धड़कन, कमजोरी, मूर्छा आना, या मतिभ्रम होने जैसी समस्या इसके कारण होती है। यह बहुत ही गंभीर समस्या है क्योंकि इसका निदान आसानी से नहीं हो पाता है। इसके निदान के लिए जरूरी है कि आप अपने दिल की धड़कन को महसूस करके चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। अगर आप आराम कर रहे हैं और ऐसे में आपके दिल की धड़कन अनियमित हो रही है तो बिना देर किये चिकित्सक के पास जाकर अपने दिल की जांच करायें।
हाइपरथॉयाराइडिज्म और दिल की बीमारी
अगर मरीज की थॉयराइड ग्रंथि अधिक एक्टिव है तो इसका असर दिल पर अधिक पड़ता है। जब थॉयराइड ग्रंथि हार्मोन का स्राव अधिक मात्रा में करती है तब यह समस्या होती है। इसके कारण स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि इसके कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
थॉयराइड ग्रंथि सही तरीके से काम करे इसके लिए खानपान में सुधार कीजिए, नियमित व्यायाम से भी यह समस्या नहीं होती और दिल भी स्वस्थ रहता है।
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