
"मैं रात को चैन से सोई और अगली सुबह कानों में जो खबर आई, उसने मेरी जिंदगी ही बदल दी। दो पल के लिए दिमागी तौर पर मैं सुन्न हो चुकी थी। उस समय समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा? क्या मैं दोबारा खुद को पा पाउंगी? मेरे दोनों बच्चों का क्या होगा? क्या वो मेरे बिना रह पाएंगे? मैं उन्हें कैसे बताउंगी कि मुझे कैंसर है? मैं दिमागी तौर पर सब कुछ भूल चुकी थी।" ये कहानी है ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीतकर दुनिया के सामने नई मिसाल के तौर पर खुद को प्रेजेंट करने वाली एक्ट्रेस छवि मित्तल की। कई टीवी शोज और वेब सीरीज का हिस्सा रह चुकीं छवि मित्तल हाल ही में ब्रेस्ट कैंसर से रिकवर होकर काम पर लौट चुकी हैं। ब्रेस्ट कैंसर का पता लगने से लेकर इससे रिकवरी करने तक छवि मित्तल ने कैसे खुद को दिमागी तौर पर तैयार किया, आइए जानते हैं इसके बारे में उन्हीं से।
ओनलीमायहेल्थ के साथ खास बातचीत में छवि मित्तल ने बताया, "जब मुझे कैंसर से बारे में पता चला, तो मैं कुछ वक्त के लिए दिमागी तौर पर सुन्न हो गई थी। मैं छोटी-छोटी बातों पर कई घंटों तक सोचती हूं। मेरे परिवार को, बच्चों को और या काम के दौरान मुझे किसी तरह की परेशानी होती है, तो मैं काफी परेशान हो जाती हूं। पर जब मुझे ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता चला, तो यह मेरे लिए एक झटका था।" छवि ने कहा, "कुछ पलों के लिए तो मैं घबरा गई थी, लेकिन फिर मैंने गहरी सांस ली और फिर सोचा कि कुछ लड़ाइयां आपको अकेले ही लड़नी पड़ती है हैं। मैंने कई डॉक्टर डॉक्टरों से मुलाकात की, ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर्स से मिली और फिर सोचा कि जब मुश्किल आ ही गई है, तो इसका हंसकर सामना करना जरूरी है। ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी करवाने से पहले मैंने खुद को दिमागी तौर पर तैयार किया।" एक्ट्रेस ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में दूसरों से हिम्मत लेने की बजाय आपको पहले खुद तैयार होना पड़ेगा। मैंने कैंसर की जंग को दिमाग से एक आम बीमारी की तरह लिया और जीता भी।
मानसिक तौर पर परिवार बना सहारा
एक्ट्रेस ने बताया कि जब उन्होंने अपनी 9 साल की बेटी को अपने ब्रेस्ट कैंसर होने के बारे में बताया, तो वह रो पड़ीं पड़ी। लेकिन जब उन्होंने कहा कि यह एक आम बीमारी की तरह ही है और वह इससे लड़ेंगी, तब बेटी शांत हो गई। इतना ही नहीं उनके 3 साल के बेटे ने भी इस लड़ाई में उनका बखूबी साथ निभाया। इस दौरान उसकी जिद्द जिद, गुस्सा और रूठना बिल्कुल ही खत्म हो गया था। आज छवि ब्रेस्ट कैंसर से जंग जीत चुकी हैं और अपनी रेगुलर लाइफ को एन्जॉय कर रही हैं। ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के दौरान मानसिक तनाव झेलने वाली छवि आगे कहती हैं, "मैंने अब खुद को प्राथमिकता देना सीख लिया है। मैं पहले काम, बच्चे बच्चों और परिवार पर ही फोकस करती थी। मुझको लगता था कि सबकुछ सब कुछ परफेक्ट करने के लिए मेरा आगे आना जरूरी है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब मैं पहले खुद को आगे रखती हूं। मैं पहले अपने लिए सोचती हूं, इसके बाद ही किसी और के बारे में।"
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छवि मित्तल की कहानी जानने के बाद आप सोच रहे होंगे कि आखिरकार खुद को प्राथमिकता क्यों देनी चाहिए? हम तो वैसे भी पहले अपने बारे में सोचते हैं, लेकिन बहुत सारी महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। तो ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में आज हम 'खुद को प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है' इस पर चर्चा करेंगे। खुद को प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है और इसके लिए क्या किया जा सकता है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए हमने मुलुंद स्थित फोर्टिस अस्पताल कि साइकेट्रिस्ट डॉ पारुल टैंक से बातचीत की।
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क्यों जरूरी है खुद को प्राथमिकता देना?
डॉ. पारुल ने कहा, "किसी भी इंसान को दूसरों से पहले खुद पर फोकस करना चाहिए। जब आप खुद को प्राथमिकता देना शुरू कर देते हैं, तो आप सिर्फ स्वयं ही नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी अच्छा करते हैं।" उन्होंने कहा खुद पर फोकस करने वाले लोग मानसिक तौर पर भी काफी स्ट्रांग होते हैं। उन्हें फैसले लेने के लिए किसी के साथ की जरूरत नहीं होती है।"
खुद को प्राथमिकता देने के लिए फॉलो करें ये टिप्स
1. खुद को स्वीकार करें
एक्सपर्ट का कहना है कि खुद को प्राथमिकता देने के लिए सेल्फ-एक्सेप्टेन्स (self-acceptance) यानि कि खुद को स्वीकार करना। आपके अंदर क्या कमियां हैं और क्या अच्छा है इसके बारे में जानें और उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करें।
2. एक लिस्ट तैयार करें
आपके पास क्या है, क्या आपके पास जो कुछ है, आप उससे खुश हैं, अपने फ्यूचर में आप किन चीजों का पाना चाहते हैं, फाइनेंशियली आप क्या चाहते हैं इन सभी चीजों की एक लिस्ट तैयार करें। इस लिस्ट को एक पेपर पर लिखें। ऐसा करने से आपके अंदर पॉजिटिविटी आएगी और आप अच्छा महसूस कर पाएंगे।
3. डर का सामना करें
अगर आपको किसी बात से डर लगता है या कोई ऐसी परिस्थिति है, जिससे आप डरते हैं, तो उससे भागने की बजाय उसका सामना करने की कोशिश करें। अपने डर को लेकर जागरूक होने की कोशिश करें। एक्सपर्ट का कहना है कि जब आप डर से भागते नहीं है हैं और इसका सामना करते हैं, तो आप बेहतर इंसान बनते हैं।
छवि मित्तल की तरह ही भारत की 10 में से 9 महिलाएं ऐसी हैं, जो परिवार, काम और जिंदगी की उधेड़बुन में खुद को भूल जाती हैं। हम महिलाएं यह क्यों नहीं सोचती कि अगर हम मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहेंगी, तभी सबको खुश रख पाएंगी। तो क्या महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के बारे में नहीं सोचना चाहिए? ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल सीरीज 'मेंटल हेल्थ मैटर्स' में हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके साथ शेयर कर रहे हैं, ताकि आप हर परिस्थिति में के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहें।