
मानव शरीर पर कुछ बिंदु होते है जो बायोइलेक्ट्रीकल आवेगों पर प्रतिक्रिया करते है और एनर्जी भी प्रदान करते हैं। जब इन बिंदुओं पर दबाव डाला जाता है, तब एंडोर्फिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है जो दर्द को कम करके खून और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाने मे सह
मानव शरीर पर कुछ बिंदु होते है जो बायोइलेक्ट्रीकल आवेगों पर प्रतिक्रिया करते है और एनर्जी भी प्रदान करते हैं। जब इन बिंदुओं पर दबाव डाला जाता है, तब एंडोर्फिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है जो दर्द को कम करके खून और ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाने मे सहायता करता है। एक्यूप्रेशर या एक्यूपंचर जैसी चिकित्सा में रक्त प्रवाह, ऑक्सीजन और उर्जा के माध्यम से बीमारियों का निदान होता है।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर थेरेपी हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है और मांसपेशियों को आराम देता है। एक्यूप्रेशर और एक्यूरपंचर द्वारा तनाव और चिंता से राहत में भी मदद मिलती है और शरीर संतुलित रहता है।
एक्यूप्रेशर
एक्यूप्रेशर का उपयोग सामान्य बीमारी जैसे दर्द, थकान, सिरदर्द, तनाव के लिए किया जाता है। एक्यूप्रेशर एक घरेलू उपचार के समान है जिसको बिना किसी चिकित्सक की सलाह लिए ही किताब में पढकर किया जा सकता है। एक्यूसप्रेशर के लिए हाथ की उंगलियों द्वारा निश्चित प्वाइंट पर प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है। एक्यूप्रेशर एक बार में एक या दो प्वाइंट पर किया जा सकता है। एक्यूप्रेशर विधि एक्यूपंचर से बहुत पुरानी है।
एक्यूपंचर
एक्यूपंक्चर बेहद गंभीर रोगों का न सिर्फ इलाज करता है बल्कि रोगियों को इन बीमारियों से छुट्टी भी दिलाता है। इस उपचार को किसी कुशल डॉक्टर की देखरेख में ही किया जा सकता है। एक्यूपंचर में सूई का प्रयोग किया जाता है। एक्यूपंचर की सूई स्टेराइल धातु की बनी होती है जिसे उतकों और मांसपेशियों में निश्चित प्वाइंट पर चुभाया जाता है। एक्यूपंक्चर को अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय किया जा सकता है। एक्यूपंचर की सुई लगाने की प्रक्रिया पर किसी भी प्रकार के खाने या पेय पदार्थों का कोई भी असर नहीं पड़ता है। खाना खाने के ठीक बाद भी एक्यूरपंचर का उपयोग किया जा सकता है।
एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर में अंतर
- एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर समान सिद्धांतों पर आधारित हैं। इन दोनों उपचारों में यह फर्क है कि एक्यूप्रेशर का उपयोग रोगों से बचाव और सामान्य बीमारियों के लिए किया जाता है। जबकि एक्यूपंक्चर बेहद गंभीर रोगों का न सिर्फ इलाज करता है बल्कि रोगियों को रोगमुक्त भी कर देता है।
- एक्यूप्रेशर में एक दबाव बिंदु के लिये केन्द्रीय प्वाइंट और ट्रिगर प्वाइंट होती हैं। जब एक खास बिंदु पर दबाव जोर से होता है तब केन्द्र बिंदु का प्रयोग किया जाता है और ट्रिगर बिंदु का प्रयोग बिंदु के पास में दबाव डालने के लिये किया जाता है। प्रत्येक बिंदु कई बीमारियों को ठीक करता है।
- एक्यूप्रेशर एक घरेलू उपचार के समान है जिसे बिना किसी चिकित्सक की सलाह के भी दिया जा सकता है जबकि एक्यूपंक्चर उपचार सिर्फ चिकित्सकों की देखरेख में ही किया जा सकता है।
- एक्यूपंक्चर सूई के भेदने की गहराई एक्यूपंक्चर बिंदु और रोगी के शारीरिक गठन पर निर्भर होती है। यदि मरीज़ का वजन अधिक है तब सूई गहराई तक ही जाती है। जबकि एक्यूप्रेशर हाथों, उंगलियों घुटने के प्रेशर द्वारा निश्चित बिंदु पर दबाव बनाकर किया जा सकता है।
- एक बार में एक्यूप्रेशर विधि एक साथ एक या दो बिंदुओं पर किया जा सकता है जबकि एक्यूपंचर की सुई को एक साथ कई प्वाइंट पर चुभोया जा सकता है।
एक्यूपंचर पहले से भी प्रयोग की जा रही है। कानों के झुमके, बाली आदि मस्तिष्क के दोनों भागों के लिए एक्यूप्रेशर और एक्यूपंचर का काम करता है, इससे दिमाग के काम करने और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।
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