
एक नवजात के लिए मां के दूध के बाद दिया जाने वाला भोजन उसके लिए महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अपने बच्चे को सबसे पहले पारंपरिक भोजन ही दें। इसके अलावा अपने बच्चों के लिए एक संपूर्ण भोजन चुनने से पहले इन चीजों का ख्याल रखना च
मां का दूध नवजात शिशु के लिए सबसे सुरक्षित आहार है और 6 महीने तक एक बच्चे को केवल यही मिलना चाहिए। उसके बाद ही वो धीरे-धीरे संपूर्ण भोजन की ओर बढ़ता है। भारत में आमतौर पर जन्म के 6 महीने बाद बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में अनाज आधारित दलिया और दाल आदि शामिल है। पर इसके बाद भी आपके बच्चे को कई पोषक तत्वों और विटामिन की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा बढ़ती हुई उम्र के साथ बच्चे की डाइट को बढ़ाना और सुरक्षा के लिए बच्चे के भोजन की जांच करना भी आवश्यक है। साथ हूी इस बात ख्याल रखान भी बेहद जरूरी है कि आपका बच्चा किन फलों को खा रहा, किस सब्जी को पसंद नहीं करता और जंकफूड को लेकर उसका रवैया कैसा है। इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको ऐसी पांच चीजें बताएंगे, जिसका ख्याल हर मां को अपने नवजात बच्चे के लिए भोजन चुनते वक्त रखना चाहिए।
छोटे बच्चों के लिए आहार चुनते समय ध्यान रखें ये 5 बातें-
चीनी और नमक का ख्याल रखें
6 माह बाद जब आपका बच्चा खाना-पिना शुरू करे तो आपको उसके खाने में चीनी और नमक दोनों के अनुपात का ख्यास रखना चाहिए। अक्सर शुरुआती खाना खाने वाले बच्चों के लिए डॉक्टर्स से सुझाव मिलता है कि उन्हें आप अतिरिक्त सोडियम और चीनी वाले उत्पादों से बचाएं। ध्यान रखें कि चीनी की जगह आप उनके लिए गन्ने के रस, फ्रुक्टोज, मेपल और कॉर्न सिरप के रूप को खाने में मिला कर दे सकती हैं। क्योंकि शुरू से ही बच्चे का ज्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ देने से बच्चे में मोटापे, दांतों से जुड़ी परेशानियां और पेट फूलने आदि की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, बच्चे को स्तनपान से उसकी दैनिक सोडियम की आवश्कताएं पूरी हो रही होती हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त सोडियम यानी कि नमक देने की जरूरत नहीं है।साथ ही बच्चे को अन्य वनस्पति और अनाज-आधारित पूरक आहार भी देते रहें।
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जांचे पोषक तत्व
मस्तिष्क जैसे विशिष्ट अंगों के विकास या प्रतिरक्षा जैसे कुछ कार्यों के विकास के लिए बच्चों को कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसलिए बच्चे को शुरू से ही ऐसी चीजें खलाएं जिससे उन्हें ओमेगा -3, आयरन, कैल्शियम, विटामिन -डी और विटामिन-बी12 आदि जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहे। दरअसल इन तत्वों का बच्चे के मस्तिष्क और शुरूआती विकास में मदद मिल सकती है। कैल्शियम से बच्चे की हड्डियां मजबूत होंगी तो वहीं विटामिन्स बच्चे को तेज आंख और मस्तिष्क प्रदान करता है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए बच्चे को अंडे, दाल का पानी और सब्जियों का सूप आदि बना कर दें।
आर्टिफिशियल फूड्स कलर से रखें दूर
बच्चों को यूं तो रंग-बिरंगे खाने की चीजें बहुत पसंद आती है पर इनके लिए ये हानिकारक हो सकता है। दरअसल आर्टिफिशियल फूड्स कलर्स में कई खतरमाक केमिकल्स होते हैं, जो उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना सकता है। आर्टिफिशियल फूड्स कलर्स के इस्तेमाल से बच्चों में एडीएचडी जैसे व्यवहार संबंधी रोग हो सकता है। इसके अलावा बच्चे को एंजाइम्स से जुड़े कई और बीमारी भी हो सकती है। इसके लिए ध्यान रखें कि बच्चे को चॉकलेट्स, केंडी, कलरफूल ड्रिंक्स से दूर रखें।
बेबी फ्रूट्स का चुनाव करें
कम उम्र में अपने बच्चे के सामने सब्जियां पेश करना पूरी तरह से सही नहीं हो सकता है। इसलिए आप अपने बच्चे के लिए बेबी फ्रूट्स को चुनें और उन्हें यही खाने को दें। ये शरीर में विटामिन और खनिज सामग्री को बढ़ाता है। साथ ही बच्चों को फ्रुक्टोज का भी ज्यादा सेवन न करने दें। इस तरह आप बच्चों को धीरे-धीरे फल और सब्जियों के स्वाद से अवगत कराएं। आप फल और सब्जियों के इस्तेमाल से नई-नई तरह की चीजों को बनाकर बच्चों को खिला सकते हैं। आप कभी उन्हें फलों से बना कसटर्ड खिलाएं तो कभी कोई टेस्टी जूस।
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पारंपरिक भोजन का चुनाव करें
अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि आप उसे पारंपरिक भोजन दें। यानी कि घर में बनी मोटे अनाज की खीर, तो भी दाल से बनी हुई रोटियां तो कभी खसखस का दूध और सूप। इसी तरह से आप आप पारंपरिक फूड रेसिपी का इस्तेमाल करके बच्चे को अलग-अलग तरीके से फल और सब्जियों को दे सकते हैं। इन सब के साथ एक बात का खास ख्याल रखें कि बच्चों को जितना हो सके उतना ही मौसमी फल और सब्जियां ही खाने को दें। क्योंकि जिस तरीके के हम प्रदूषित जलवायु में रह रहे हैं, ऐसे में हम अगर पारंपरिक चीजों की ओर न बढ़ें, तो हमारा जीवन खतरे में पड़ सकता है।
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