
जैसे-जैसे हार्ट फेल्योर की स्थिति बिगडती जाती है, ह्रदय शरीर की जरूरत के अनुसार रक्त पम्प करने में उतना ही कमजोर होता जाता है।
हार्ट फेल्योर कोई अचानक होने वाली समस्या नहीं है। इसके लक्षण आमतौर पर हफ्तों या फिर महीनों तक बढ़ते रहते हैं। और दिल को कमजोर बनाते रहते हैं। जिससे दिल की शरीर को रक्त भेजने की शक्ति कम होती जाती है। हार्ट फेल्योर में जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती जाती है, सांस लेने में परेशानी आती जाती है, और अधिक श्रम की स्थिति में या कभी-कभी सामान्य या आराम की स्थिति में भी सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आती है। फेफड़े में तरल पदार्थ के जमा होने के कारण, हार्ट फेल्यर के रोगी ऊंचे तकिए पर सिर रखकर सोना शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें सांस लेने में आसानी हो। पैरों (टांगों और टखनों) में भी पानी का जमाव होने लगता है, जिसके कारण सूजन हो जाती है।
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जो लोग अधिक सक्रिय नहीं हैं या ज्यादा भागदौड लही कर पाते, उनके शरीर के धड़ भाग (मध्य भाग) में पानी इकट्ठा होने लगता है। कुछ लोगों को रात में कई-कई बार पेशाब लगता है, क्योंकि दिनभर शरीर के निचले भाग में जमा हुए अतिरिक्त पानी को रात के समय किडनी कुछ हद तक उत्सर्जित करती है। चूंकि शरीर में बहुत मात्रा में पानी इकट्ठा होने लगता है, व्यक्ति का वजन भी बढ़ने लगता है। फेफड़ों में पानी इकट्ठा होने से क्रॉनिक कफ की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
यद्यपि हार्ट फेल से सामान्य तौर पर हृदय के दोनों ओर प्रभाव पड़ता है, लेकिन कुछ लोगों में यह सिर्फ बाएं या दाएं किसी एक ओर ही प्रभाव डालता है। ऐसे मामलों में, लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन-सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। जब हृदय का बायां हिस्सा प्रभावित होता है, तो सांस लेने में तकलीफ होती है। और जब दायां हिस्सा प्रभावित होता है तो पैरों और शरीर के धड़ भाग या पेट के पास सूजन आ जाती है।
वे लोग जिन्हें हार्ट फेल्योर की कोई भी समस्या सहसूस होती है, उन्हे जल्द से जल्द एक हार्ट एक्सपर्ट से मिलकर जांच करानी चाहिए। यदि रोग की पुष्टि होती है, तो इसके सभी लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। लक्षणों में होने वाले किसी भी परिवर्तन की जानकारी अपने डॉक्टर को देनी चाहिए।
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हार्ट फेल्योर के कुछ जटिल लक्षण लिम्न हैं-
सांस फूलने और जन्दी थक जाने की समस्याः
जब दिल ठीक तरह से काम नही करता है तो फेफडों को भी रक्त के जरिए ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। और सांस की समस्या होती है। गंभीर अवस्था में आराम करते समय या फिर सोते समय भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है। ऐसा होने पर काफी थकान और कमजोरी का अनुभव होता है।
थकान का होनाः
जैसे-जैसे हार्ट फेल्योर की स्थिति बिगडती जाती है, ह्रदय शरीर की जरूरत के अनुसार रक्त पम्प करने में उतना ही कमजोर होता जाता है। ऐसे में दिल दिमाग तक रक्त भेजने के लिए कम महत्वपूर्ण क्षेत्रों विशेषकर हाथ और पैर मे रक्त का संचार नहीं करता। इस कारण हार्ट फेल्योर के मरीजों को हर समय थकान का अनुभव होता है।
क्रोनिक(जीर्ण) खांसी या घरघराहटः
फेफडों मे द्रव्य का भराव होने की वजह से खांसी या घरघराहट की समस्या होती है।
इसके अलावा हार्ट फेल्योर के कुछ इस प्रकार के लक्षण भी हो सकते हैं।
- रैपिड या अनियमित दिल की धड़कन
- भूख की कमी या मतली
- मानसिक भ्रम या असमान्य सोच
- तरल का भर जाना और सूजन
- तेजी से वजन का बढना
इसी दौरान दिल रक्त प्रवाह की कुछ अनियमित और नुकसान दायक प्रक्रिया शुरू कर देता है, जिसके कारण दिल के बडा हो जाने, तेज गती से रक्त प्रवाह, संकीर्ण ब्लड वेसल्स और अनियमित दिशा मे रक्त प्रवाह जैसे बिगडे हुए संकेत मिलते हैं।
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