
ल्यूकीमिया का निदान : ल्यूकेमिया के निदान के लिए एक विस्तृत अध्ययन की जरूरत होती है इसमें रक्त कोशिका और शरीर में कैंसर कोशिका कहा तक फैली है इसकी हद का मूल्यांकन होता है। आइए जानें, ल्यूकीमिया के निदान के लिए कौन से ट
ल्यूकीमिया ब्लड कोशिकाओं को प्रभावित करता है और यह प्रभावित कोशिकाएं अन्य कोशिकाओं से अलग होती हैं जिनकी पहचान केवल जांच के जरिए ही की जा सकती है। कैंसर के सेल्स ना तो परिपक्व होते हैं और न ही समाप्त होते हैं, इसलिए इसका निदान किया जाना बहुत जरूरी हैं। ल्यूकीमिया का निदान न हो पाने के कारण लोगों की मौत भी हो जाती है।चिकित्सक लक्षणों को देखकर जांच कराने की सलाह देता हैं और शारीरिक परीक्षण के दौरान चिकित्सक यह पता लगा सकता है कि आपके लिम्फ नोड्स में सूजन है या नहीं, आपका लीवर या स्प्लीन बढ़ा है या नहीं।
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इसके साथ-साथ ल्यूकेमिया के निदान के लिए एक विस्तृत अध्ययन की जरूरत होती है इसमें रक्त कोशिका और शरीर में कैंसर कोशिका कहा तक फैली है इसकी हद का मूल्यांकन होता है। और इन मूल्यांकन को करने में निम्नलिखित परीक्षण भी शामिल होते हैं।
ल्यूकीमिया का निदान
खून की जांच
ल्यूकीमिया के निदान के लिए कंप्लीट ब्लड काउंट किया जाता है। इसको सीबीसी भी कहा जाता है। ब्लड के सैंपल में विभिन्न प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं।
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एक्स–रे
चेस्ट का एक्स-रे करके डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि कैंसर की कोशिकाएं फेफडों में कहां तक फैल गई हैं। चेस्ट एक्स-रे से लिम्फ नोड्स में ल्यूकीमिया के संक्रमण का पता लगाया जाता है।
लेप्रोस्कोलपी
लेप्रोस्कोपी के जरिए ल्यूकीमिया की सर्जरी की जाती है। ल्यूकीमिया के निदान के लिए लेप्रोस्कोपी बहुत ही आसान तरीका है।
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ट्यूमर मार्कर टेस्ट
ल्यूकीमिया के निदान के लिए चिकित्सक ट्यूमर मार्कर टेस्ट करते हैं। ट्यूमर मार्कर से शरीर के ऊतकों, खून और मूत्र का टेस्ट किया जाता है। जब कैंसर के सेल्स उभरे हुए होते हैं तब इस जांच से ल्यूकीमिया का पता लगाया जा सकता है।
ये ल्यूकीमिया के निदान के लिए सामान्य जांच हैं जिनसे इसका पता लगाया जा सकता है। ल्यूकीमिया के सेल्स खून में धीरे-धीरे फैलते हैं। इन टेस्टों से ल्यूकीमिया के स्टेज का पता चलता है। ल्यूकीमिया एक घातक बीमारी है और निश्चित समय पर इसके लक्षण पहचान लिए जाएं तो इसका उपचार हो सकता है।
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