
लिम्फोमा का निदान : आइए जानें, लिम्फोमा जिसके दो प्रकार होते है हाजकिन डिज़ीज़ और नॉन हाजकिन लिम्फोमा उसके निदान और बचाव के उपायों के बारे में।
लिम्फोमा के निदान के लिए चिकित्सक चिकित्सकीय इतिहास और शारीरिक परीक्षण को देखकर लिम्फोमा की पुष्टि करता है, फिर उसके बाद वो ब्लड टेस्ट और लिम्फ नोड्स की बायोप्सी कराने की सलाह देता है।लिम्फ नोड बायोप्सी में चिकित्सक मरीज़ के शरीर में लिम्फ नोड्स की जगह पर त्वचा के नीचे लोकल एनेस्थेटिक लगा देता है। जब यह जगह सुन्न पड़ जाती है तो चिकित्सक एक रोगाणुरहित सूई से टिश्यू का छोटा सा भाग निकालता है और फिर प्रयोगशाला में इसकी जांच करता है। कभी–कभी तो पूरी लिम्फ नोड को सर्जरी के द्वारा निकाल दिया जाता है क्योंकि इससे रोग विज्ञानी के लिए बीमारी को समझ पाना आसान हो जाता है।
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लिम्फोमा बोन मैरो से सम्बन्धित होता है इसलिए अधिकतर मरीज़ों में बोन मैरो सेल्स की भी जांच की जाती है।
मरीज़ को कई प्रकार की दूसरी जांच भी करानी होती है जैसे एक्स रे, हड्डियां, लीवर और सप्लीन की जांच कराना, बोन मैरो की बायोप्सी कराना, गैलियम स्कैन कराना या फिर पाजि़ट्रान एमिशन टोमोग्राफी, पेट का सी टी स्कैन। गैलियम या सी टी स्कैन के लिए रेडियोलाजिस्ट आपके शरीर में कुछ ना नुकसान पहुंचाने वाली रेडियोएक्टिव सामग्री डाल सकते हैं जो कि उन स्थान पर पहुंच जायेगा जहां कि लिम्फोमा होता है। फिर स्कैनर की मदद से इन क्षेत्रों की प्रतिलिपी बनाते हैं।
अगर लिम्फोमा है तो इसका दूसरा चरण यह होता है कि कैंसर की स्थिति का पता लगायें। इसके लिए चिकित्सक यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि किसी प्रकार के बी लक्षण तो नही हैं जैसे बुखार, वज़न का घटना और रात को पसीना आना। यह स्थिति स्टेज 1 से शुरू होती है जिसमें कि कैंसर किसी खास जगह पर ही होता है जैसे किसी एक लिम्फ नोड पर जबकि स्टेज 4 पर कैंसर लिम्फ नोड्स के बाहर भी फैल चुका होता है और यहां तक कि बोन मैरो और दूसरे आर्गन तक भी फैल चुका होता है।
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कभी–कभी लैपरोस्कोपिक सर्जरी नामक प्रक्रिया भी करनी पड़ती है जिससे कि कैंसर की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सके। इस प्रक्रिया में पेट के अंदर छोटा चीरा लगाना होता है और एक पतली नली जिसे लैपरोस्कोप कहते हैं उसे यह पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है कि कैंसर कहीं आंतरिक अंगों में तों नहीं फैल गया है। इस प्रक्रिया के दौरान टिश्यूज़ के छोटे टुकड़ों को निकाल कर कैंसर के लक्षणों का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप के अंदर देखा जाता है।
लिम्फोमा में डाक्टर को कब सम्पर्क करें
अगर आपको दो हफ्ते या उससे अधिक समय तक लिम्फोमा के लक्षण दिखायी देते हैं तो ऐसे में चिकित्सक से सम्पर्क करें।
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लिम्फोमा से बचाव
लिम्फोसाइट्स शरीर के हर भाग में पाये जाते हैं। इसलिए लिम्फोमा के मुख्य दो प्रकार होते हैं हाजकिन डिज़ीज़ और नॉन हाजकिन लिम्फोमा।
वैसे तो नान हाजकिन लिम्फोमा और हाजकिन लिम्फोमा से बचने का कोई निश्चित तरीका नहीं है। पर आप कुछ सावधानियां बरतकर स्वयं में इस बीमारी का जोखिम कम कर सकते हैं जैसे कि एच आई वी जैसी संक्रामक बीमारी से बचकर और कुछ ऐसे रसायनों का उपयोग ना करके जिनसे कि लिम्फोमा का जोखिम बढ़ता है।
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