
मां का दूध नवजातों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। लेकिन इसका फायदा तभी होता है जब शिशु थोड़ा-थोड़ा पिये। इसके लिए स्तनपान का समय और अंतराल भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि स्तनपान का सही तरीका है
लंदन, एजेंसी : मां का दूध नवजातों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। लेकिन फायदा तभी ज्यादा होता है जब शिशु थोड़ा-थोड़ा पिये।
एक ब्रिटिश अध्ययन के मुताबिक नियमित रूप से शिशु अगर 10-10 मिनट प्रत्येक स्तन का दूध पिये तो वजन के साथ-साथ स्तनपान की दर भी बढ़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि शिशु को छह माह का होने तक खास तौर पर स्तनपान कराना चाहिए।
स्तनपान का अंतराल
ब्राडफोर्ड जीपी के शोधकर्ताओं ने गौर किया है कि लगातार स्तनपान करते रहने वाले शिशुओं का वजन अपेक्षाकृत कम होता है। इस अध्ययन में 63 महिलाओं को शामिल किया गया, जो अपने शिशुओं को स्तनपान कराने पर विशेष ध्यान देती थीं। इन महिलाओं की आधा तादाद को कहा गया कि वे शिशुओं को स्तनपान तभी कराएं, जब बच्चा चाहता हो। ऐसा अहसास हो कि बच्चा अब भी भूखा है, तब भी स्तनपान कराएं। बाकी को सलाह दी गई कि शिशुओं को दिन में हर तीन घंटे पर प्रत्येक स्तन से अधिकतम 10-10 मिनट ही दूध पिलाएं।
अगर जरूरत पड़े तो रात में भी। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि सर्वोत्तम तरीका है तीन-तीन घंटे के अंतराल पर 10-10 मिनट तक स्तनपान कराना। इस तरीके से माताएं 12 हफ्ते बाद भी शिशु को दूध पिलाती रहीं। अन्य तरीके से शिशुओं का वजन पर्याप्त नहीं बढ़ पाता। कुल मिलाकर शिशु कुपोषण का शिकार हो जाता है। खास बात यह है कि ज्यादा स्तनपान शरीर की उस प्रणाली को बाधित कर देता है जो दूध का उत्पादन करती है।
दरअसल, आक्सीटोसिन नामक हार्मोन के कारण दूध कोशिकाओं से होते हुए स्तन तक पहुंचता है। शिशु अगर लगातार स्तन से चिपके रहने का आदी हो जाता है तो आक्सीटोसिन का उत्पादन बाधित हो जाता है।
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