
बोन कैंसर हड्डियों का खतरनाक ट्यूमर होता है इससे हड्डियों के टिश्यू को काफी नुकसान पहुंचता है।
बोन कैंसर हड्डियों का खतरनाक ट्यूमर होता है इससे हड्डियों के टिश्यू को काफी नुकसान पहुंचता है। लेकिन सभी बोन ट्यूमर घातक नहीं होते हैं। दरअसल बोन कैंसर दो तरह के होते हैं पहला बेनाइन(benign) और दूसरा है मेलिगनेन्ट (malignant)।
बेनाइन ट्यूमर होना सामान्य है और इससे डरने की जरुरत नहीं है लेकिन मेलिगनेन्ट काफी खतरनाक है। यह दोनों ही ट्यूमर रोगी की हड्डियों में होते हैं लेकिन बेनाइन ट्यूमर फैलता नहीं और ना ही बोन टिश्यू को नुकसान पहुंचाता है और इससे जीवन को खतरा बहुत कम होता है। मेलिगनेन्ट ट्यूमर जब हड्डियों में होता है इसे प्राइमरी बोन कैंसर कहते हैं। जब कैंसर हड्डियों से शरीर के अन्य भागों जैसे ब्रेस्ट, फेफड़े, प्रोस्टेट में पहुंच जाता है तो उसे मेटासटैटिक (metastatic) कैंसर कहते हैं।
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लक्षण
- बोन कैंसर का सबसे आम लक्षण दर्द होना है, यह दर्द धीरे धीरे शुरु होता है समय के साथ बढ़ता जाता है।
- बोन कैंसर में किसी स्थान पर लालिमा, थोड़ा गर्म, या दर्द के साथ सूजन होना भी हो सकता है।
- कभी-कभी बोन ट्यूमर में रात को बुखार व पसीना हो सकता है।
- बोन कैंसर में रोगी को केवल पीड़ारहित मॉस की शिकायत भी हो सकती है।
ईलाज
सर्जरी- सर्जरी करने से पहले ट्यूमर का आकार देखना जरूरी है। सर्जरी के दौरान ट्यूमर के सभी भाग व उसके आसपास के टिश्यू को निकाल दिया जाता है। कभी कभी जिस जगह पर कैंसर हुआ है उस अवयव को हटाना पड़ता है। सर्जरी के दौरान अगर संभव हो तो क्षतिग्रस्त हड्डियों को निकालकर उसकी जगह आर्टीफिशियल हड्डी लगना पड़ता है। यह बोन कैंसर का बहुत ही आम इलाज है ।
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कीमो थैरेपी चिकित्सा - कीमोथेरेपी में कैंसर निवारक दवाओं के जरिए ट्यूमर को खत्म किया जाता है। दवाएं कैंसर सेल्स को बढ़ने व फैलने से रोकती है लेकिन यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है लेकिन समय के साथ यह कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं। कीमोथेरेपी से आपको भूख नहीं लगना, मितली आना, वजन कम होना, चक्कर आना जैसी समस्या हो सकती है। आमतौर पर सर्जरी के पहले कीमोथेरेपी चिकित्सा की जाती है लेकिन कई बार सर्जरी के बाद भी यह चिकित्सा देते हैं ट्यूमर को पूरी तरह से खत्म करने के लिए।
रेडियेशन थैरेपी उपचार- रेडियेशन थैरेपी में एक बड़ी मशीन के जरिए कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है। इससे निकलने वाले विकिरण का उपयोग ट्यूमर के आकार या रक्त संचार कम करने के लिये किया जाता है क्योंकि ट्यूमर प्रभावित अंग में रक्त की आपूर्ति की मात्रा बहुत होती है, जिसके फलस्वरूप कैंसर बहुत तेजी से बढ़ रहा होता है। इ विधि का प्रयोग प्रभावित अंग में ऑपरेशन से पहले या सर्जरी के दौरान रक्त की आपूर्ति को कम करने के लिए किया जाता है।
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