
फेफड़ों का काम हवा से ऑक्सीजन अलग कर रक्त में पहुंचाना है। लेकिन कई बार फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है और ये ठीक से काम नहीं करते। यही समस्या बढ़कर कई बार कैंसर का रूप ले लेती है। फेफड़ों के कैंसर में कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि होती है। पूरी दुनिया में होने वाले कैंसरों में सबसे अधिक फेफड़े के कैंसर रोगी ही होते है। पूरे विश्व में यह कैंसर प्रतिवर्ष 0.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। 5 से 15 प्रतिशत मामलों में इसके लक्षण दिखाई नही देते। लेकिन, ज्यादातर बिना किसी लक्षण वाले व्यक्तियों में लंग ट्यूमर का पता सीने के सामान्य एक्सरे से लग जाता है।
चेस्ट कम्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैनिंग का अधिक उपयोग और लंग कैंसर की जांच के लिए अलग-अलग तरीके अपनाये जाते हैं। लेकिन जब भी पेट में किसी असमान्य कारण का पता चलता है तो सीटी स्कैन से अक्सर छाती के निचले हिस्से की जांच की जाती है। हालांकि, लंग कैंसर के रोगियों में एक या अधिक लक्षण पाये जाते हैं।
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लंग कैंसर के लक्षण -
- लगातार खांसी आना, अगर तीन सप्ताह से लगातार खांसी आ रही है।
- थूक के साथ खून निकलना।
- खांसी के साथ रक्त आना (हेमोफाइटिस)।
- मुंह में घरघराहट होना।
- ज्यादा लंबी सांस लेने में दिक्कत होना।
- छाती में दर्द होना।
- निमोनिया के लक्षण दिखना, बुखार और खांसी के साथ कफ आना।
- निगलने में दिक्कत होना।
- आवाज का कर्कश होना।
- वजन का लगातार घटना।
- भूख न लगना।
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यदि कैंसर मस्तिष्क, हड्डियों या शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल गया है तो इस प्रकार के लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
- अंगुलियों के सिरों में असमान्यताएं
- नाक और छाती के सामने वाले हिस्से की नसों में सूजन आना
सांस लेने में दिक्कत के साथ अन्य लक्षण भी दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए। जितनी जल्दी इसका निदान हो जाए उपचार में उतनी आसानी होती है।
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