दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो छोड़ सकते हैं धूम्रपान
- विश्व में हर साल 50 लाख लोग तंबाकू के कारण मरते हैं
नई दिल्ली, भाषा : धीरे-धीरे मौत के मुंह में धकेलने वाली धूम्रपान की लत छोड़ना मुश्किल नहीं है। इसे त्यागने के लिए पारिवारिक सहयोग, मनोवैज्ञानिक सहारे तथा दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत है। विश्व में हर साल कम से कम 50 लाख लोग तंबाकू के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं।
अपोलो अस्पताल के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डा.राजेश चावला ने कहा कि भारत में 15 साल से कम उम्र के करीब एक करोड़ बच्चे धूम्रपान कर अपना भविष्य पूरी तरह खराब कर लेते हैं। यह सर्वविदित है कि धूम्रपान हृदयाघात, विभिन्न प्रकार के कैंसर और एम्फीसेमा (श्वांस की तकलीफ) जैसी घातक बीमारियों की जड़ होता है। विश्व स्तर पर देखें तो तंबाकू मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके बावजूद तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। विदेश में तो इस लत से छुटकारा दिलाने के लिए एंटी स्मोकिंग थेरेपी को महत्व दिया जा रहा है, लेकिन हमारे देश में अभी यह दूर की कौड़ी है।
एस्कोर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के डा.आर.आर.कासलीवाल ने कहा, लोग जानते हैं कि धूम्रपान उन्हें गंभीर बीमारियों का शिकार बनाएगा फिर भी धूम्रपान करते हैं। 30 से 40 वर्ष की उम्र में दिल का दौरा पड़ने का मुख्य कारण धूम्रपान ही होता है। लेकिन लोग इसे छोड़ने के बारे में तब सोचते हैं जब गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
डा.कासलीवाल ने कहा कि धूम्रपान छोड़ना दृढ़ इच्छाशक्ति और पारिवारिक सहयोग से संभव है। लोग धूम्रपान को मनोवैज्ञानिक बीमारियों से नहीं जोड़ते, जबकि ऐसा होना चाहिए। उन्होंने अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि युवाओं के लिए बाद में धूम्रपान छोड़ना मुश्किल हो जाता है।
अध्ययन के अनुसार धूम्रपान शुरू करने के बाद निकोटिन मस्तिष्क में पाई जाने वाली तंत्रिका कोशिकाओं के बाहरी आवरण का ढांचा बदल देती है। जबकि ये तंत्रिका कोशिकाएं मस्तिष्क की मुख्य सक्रिय संचार केंद्र होती हैं। इसीलिए युवा लंबे समय के बाद धूम्रपान छोड़ने में दिक्कत महसूस करते हैं।
डा.चावला ने कहा, भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान तथा 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को तंबाकू बेचने पर प्रतिबंध है, फिर भी किशोर धूम्रपान के आदी हो रहे हैं। केवल कठोर कानून ही काफी नहीं है,बल्कि इसके लिए और भी प्रयासों की जरूरत है। लोगों को बताना होगा कि जिस तंबाकू से सिगरेट बनाई जाती है उसमें करीब 4, 800 प्रकार के रसायन होते हैं और इनमें से 69 रसायन कैंसर उत्पन्न करते हैं। महिलाओं को तंबाकू से बांझपन, अनिद्रा और पेप्टिक अल्सर की शिकायत हो सकती है।
डा. कासलीवाल ने कहा, लोग यह नहीं समझते कि धूम्रपान से असमय होने वाली मौत न केवल एक परिवार को, बल्कि देश की प्रगति को भी प्रभावित करती है। यह गंभीर बीमारियों का चौथा सबसे बड़ा कारण है। अनुमान है कि 2020 तक हर साल एक करोड़ मौतें तंबाकू की वजह से होंगी। डा.चावला ने मनोवैज्ञानिक सलाह और मेडिकल थेरेपी को धूम्रपान की लत दूर करने में कारगर बताया और कहा कि भारत को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

Source: दैनिक जागरण Jan 04, 2011
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