
जेस्टेशनल डायबिटीज और इसमें बच्चे की देखभाल के बारे में जानकारी होना हर गर्भवती के लिए जरूरी होता है।
प्रत्येक गर्भवती के लिए सबसे प्रमुख चिंता का विषय अपने होने वाले बच्चे का स्वास्थ्य होता है। यदि वह ऐसी स्थिति में है जो उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता ह, तो वह यकायक कई सवालों से घिर जाती है। ऐसा ही एक विषय है जेस्टेशनल डायबिटीज और इसमें बच्चे की देखभाल। इसलिए इस लेख में हम आपको बता रहे हैं जेस्टेशनल डायबिटीज में बच्चे की देखभाल कैसे करें।
जेस्टेशनल डायबिटीज में गर्भवती स्वाभाविक रूप से चिंतित होगी और उसके ज़हन में सवाल आएगें कि उसे अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए या नहीं। या क्या स्तनपान का उसके बच्चे पर प्रतिकूल असर तो नहीं पड़ेगा। तो हम आपको बताए देते हैं कि यदि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो स्तनपान का बच्चे पर प्रतिकूल प्रभावित नहीं पड़ता। जेस्टेशनल डायबिटीज के बावजूद आपको अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। इससे आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए कई लाभ होते हैं। जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित माताओं के शिशुओं में कई तरह की जटिलताएं विकसित होने का खतरा रहता हैं। जैसे -
- हॉयपोग्लायसिमिया (निम्न रक्त शर्करा)
- हॉयपरबिलिरुबिनेमिया ( या नवजात काल में शारीरिक पीलिया)।
- कुछ अन्य चयापचय जटिलताएं जैसे कम कैल्शियम (जेस्टेशनल मधुमेह के अधिक गंभीर मामलों में आमतौर पर पाये जाते हैं)।
यदि आप स्तनपान जल्दी शुरू करें और बच्चे को कई बार दूध पिलाएं तो इन जटिलताओं को कम या रोका भी जा सकता है। शोध के अनुसार मधुमेह से पीड़ित माताओं के बच्चों को नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (नीओनेटल इंटेनसिव केयर यूनिट) में कम ही भर्ती करने की नौबत आती है। स्तनपान आपके बच्चे को जीवन में बाद में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह से बचा सकता है।
जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित माताओं के स्तनपान करने वाले बच्चों में स्वस्थ ग्लूकोज चयापचय होता है और इंसुलिन प्रतिरोध कम होता है। स्तनपान अल्पकालिक और संभवत लंबे समय दोनों के लिए ही लाभ प्रदान करता है। देखा गया है कि जेस्टेशनल मधुमेह भविष्य में आपके क्षीण ग्लूकोज सहनशीलता के जोखिम को बढ़ा देता है और टाइप 2 मधुमेह (एनआईडीडीएम) विकसित हो जाता है। स्तनपान आपकी ग्लूकोज सहनशीलता को स्तनपान न कराने वाली जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित मां की तुलना में तेजी से सामान्य कर देता है। स्तनपान संभवतः आपके जीवन में बाद में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने के जोखिम को भी कम कर सकता है।
यदि आपको जेस्टेशनल मधुमेह है तो ये सभीबातें आपके और आपके बच्चे के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
स्तनपान कराते समय ध्यान में रखने वाले कारक
जीवन के पहले और दूसरे वर्ष में सभी बच्चों को स्तनपान कराने की सिफारिश की जाती है। जेस्टेशनल मधुमेह हो या न हो, बच्चे को दूध पिलाने के मां और बच्चे दोनों के लिए कई लाभ हैं। जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित महिलाओं के लिए स्तनपान कराने के कुछ अन्य फायदे भी हैं।
• स्तनपान ओवेरियन कैंसर, कुछ प्रकार के स्तन कैंसर और महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है।
• जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में स्तनपान कराने से प्रसव के बाद जल्दी ही रक्त शर्करा के नियंत्रण में मदद मिल सकती है।
• लंबी अवधि (छह महीने से अधिक) के लिए स्तनपान कराने से आपके अधिक वजन को कम करने में भी मदद मिल सकती है।
जेस्टेशनल मधुमेह के बाद अपने बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ
• स्तन का दूध शिशुओं के लिए कृत्रिम उत्पादों की तुलना में हर प्रकार से बेहतर है। शिशु की वृद्धि और विकास में सहायता करने के अलावा यह कुशलतापूर्वक मस्तिष्क और तंत्रिकाओं (न्यूरोलोजिकल) के विकास को भी बढ़ावा देता है।
• देखा गया है कि शिशुओं में स्तनपान अस्थमा, कान में संक्रमण, आंत्र रोग, एक्जिमा और सांस की बीमारियों की दर को कम कर देता है। संभवतः स्तनपान कुछ अन्य रोग जैसे कैंसर, किशोर मधुमेह, आंत्र समस्याएं जैसे क्रोहन्स रोग और और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम कर सकता है।
• स्तनपान आपके बच्चे के सभी रोगों का इलाज नहीं कर सकता लेकिन जब स्तनपान करने वाले बच्चे बीमार होते हैं तो आमतौर पर फार्मुला-फेड शिशुओं की तुलना में उनकी बीमारी कम गंभीर और छोटी अवधि की होती है।
• यह जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित माताओं के बच्चों में मोटापे के खतरे को कम करता है।
• संभवतः यह बाद के जीवन में मधुमेह विकसित होने के जोखिम को भी कम कर सकता है।
• अपने बच्चे को स्तनपान कराएं क्योंकि यह आपका वजन कम करने और आपकी ग्लूकोज सहनशीलता में सुधार करने में मदद करता है।
• एक स्वस्थ जीवन शैली का अनुसरण करें जैसे स्वस्थ और संतुलित खाना (खूब फल, सब्जियां और साबुत अनाज, जो वसा और तेल में कम हों), और नियमित व्यायाम।
• एक स्वस्थ शारीरिक वजन बनाए रखें।
बच्चे के जन्म के बाद ज्यादातर महिलाओं में रक्त शर्करा का स्तर वापस सामान्य हो जाता है। चिकित्सक प्रसव के छह सप्ताह बाद एक और मौखिक शर्करा सहिष्णुता परीक्षण करता है। और जांचता है कि आपकी रक्त शर्करा का स्तर सामान्य स्तर पर पर लौटा आया है या नहीं। वेसे भी गर्भावस्था के समय आपको नियमित रूप से अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच करनी चाहिए।
यदि मां को जेस्टेशनल मधुमेह है तो क्या बच्चे को भी मधुमेह का खतरा है
जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित माताओं के बच्चों को मोटापा और टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है।
• यदि जेस्टेशनल मधुमेह में रक्त शर्करा को ठीक से नियंत्रित न किया जाए तो बच्चे में मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। यदि जेस्टेशनल मधुमेह का इलाज नहीं किया जाए तो जब वह 5 से 7 वर्ष का होता है तब तक यह लगभग दोगुना हो जाता है।
• तीन महीने से अधिक स्तनपान बचपन में मोटापे के खतरे को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इसलिए जेस्टेशनल मधुमेह से पीड़ित माताओं के लिए स्तनपान कराना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बाद के जीवन में उनमें टाइप 2 मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है। अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होना टाइप 2 मधुमेह का सबसे महत्वपूर्ण रिस्क फेक्टर माना जाता है।
जेस्टेशनल मधुमेह के बाद स्तनपान मोटापे के या मां और बच्चे दोनों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने के जोखिम को कम कर देता है।
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