
गले का कैंसर तब होता है, जब सांस लेने, बोलने और निगलने के लिए उपयोग में आने वाली कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होना शुरु हो जाती हैं
गले का कैंसर तब होता है, जब सांस लेने, बोलने और निगलने के लिए उपयोग में आने वाली कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होना शुरु हो जाती हैं और इनका विकास सामान्य से अधिक हो जाता है।
ज्यादातर गले के कैंसर मुख के तार पर शुरू होते हैं, और बाद में स्वर यंत्र से गले के पिछले हिस्से, जिसमें जीभ और टांसिल्स (इसमें ग्रसनी यानी फेरिंक्स भी शामिल है) के हिस्से शामिल होते हैं। ये धीरे धीरे श्वांसनली में भी फैल जाते हैं।
मुंह और गले की कैंसर की समस्या महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा होती है। गले के कैंसर की समस्या महानगरों में बहुत तेजी से फैल रही है। सिगरेट और तम्बाकू का सेवन करने वाले तो इस बीमारी के संभावित शिकार होते ही हैं साथ ही अप्रत्यक्ष धूम्रपान भी इस बीमारी का एक बड़ा कारण है।
किसे होता है
पहले आमतौर पर गले का कैंसर उम्रदराज लोगों को होता था, लेकिन अब 20 से 25 वर्ष के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हालांकि इसके सबसे ज्यादा शिकार 40-50 वर्ष की उम्र के लोग हैं। यह कैंसर खतरनाक हो सकता है क्योंकि मुंह की सामान्य समस्याओं को लोग नजरंअंदाज करते हैं और इसकी चपेट में आ जाते हैं।
गले के कैंसर के लक्षण
कई बार गले के कैंसर के लक्षण आसानी से पहचान में नहीं आते। फिर भी कुछ लक्षण ऐसे हैं जिनके, होने पर आप सचेत जो जाएं और तुरंत डॉक्टरी जांच करा लें। यदि आवाज में बदलाव हो रहा है या आपको आवाज में भारीपन महसूस हो रहा है तो आपको गले का कैंसर हो सकता है। इसके साथ ही मुंह से खून आने, गले में जकड़न होने, सांस लेने में तकलीफ होने या फिर खाना खाने में परेशानी होने पर भी गले के कैंसर की समस्या हो सकती है। इसके अलावा शरीर में ऊर्जा की कमी होना, थकान होना, रात में सोने में समस्या भी गले के कैंसर से जुड़े हैं।
गले के कैंसर के कारण
- जो लोग धूम्रपान करते हैं, उन्हें मुंह और गले का कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से धूम्रपान शामिल है। बीड़ी इस मामले में सिगरेट के मुकाबले कहीं ज्यादा नुकसानदेह है।
- तम्बाकू का सेवन गले के कैंसर का प्रमुख कारण माना जाता है। तम्बाकू के सेवन से श्वांस नली की कार्य प्रणाली पर विपरीत असर पड़ता है और इससे गले का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
- गुटखा, पान मसाला और खैनी आदि के सेवन से भी गले का कैंसर हो सकता है। इसलिए इनका सेवन करने से बचना चाहिए।
- शराब के सेवन से भी गले का कैंसर हो सकता है, यदि कोई व्यक्ति एल्कोहल के साथ धूम्रपान भी करता है, तो इस रोग का खतरा अधिक होता है। अल्कोहल और निकोटिन साथ में लेने से मैलिग्नेंट कोशिकाएं बढ़ जाती हैं। यही कोशिकाएं आगे चलकर गले के कैंसर का कारण बनती हैं।
- प्रदूषित वातावरण भी गले के कैंसर का एक प्रमुख कारण है। डस्ट, वुड डस्ट, कैमिकल डस्ट और रोड डस्ट के कण कैंसर का कारण बन सकते हैं। सल्फर डाई ऑक्साइड, क्रोनियम और आर्सेनिक भी कैंसर की आशंका को बढ़ाते हैं।
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, समय से जानकारी ही इसका बचाव है। आजकल कैंसर के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कैंसर होने का कोई एक कारण नहीं होता, यह परेशानी और भी कई कारणों से हो सकती है।
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