
गर्भावस्था के 42वें हफते में विशेष दोखभाल की जरूरत होती है। आइए जानें गर्भावस्था 42वें हफ्ते के बारे में।
गर्भावस्था के समय, खासतौर पर 42वां हफ्ते में खास देखभाल की जरूरत होती है। यह गर्भावस्था का सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाला समय होता है। आइये जानते हैं की क्या है गर्भावस्था का 42वां हफ्ता और इसमें किन बातों का खयाल रखना चाहिए।
गर्भावस्था जब अपने अंतिम चरण में होती है तो गर्भवती महिला को अपने होने वाले शिशु को देखने के लिए उत्साह तो पैदा हो ही जाता है साथ ही हर समय डिलीवरी होने की बेचैनी भी होने लगती है। गर्भावस्था के नौ महीनों के अनुसार आमतौर पर 36 सप्ताह ही बताए गए है लेकिन गर्भाधारण के दिनों का सही आंकड़ा न होने पर ये हफ्ते 40 से 42 हफ्तों तक भी पहुंच जाते है। जन्म और गर्भावस्था 42 हफ्ते में या इसके बाद ये दोनों स्थितियां समाप्त हो जाती है और रह जाता है तो नवजात की देखभाल या प्रसवोत्तर के बाद की देखभाल।
- डयू डेट के दौरान दिए जाने वाले हफ्ते में गर्भावस्था का 42वां हफ्ता शामिल होता है।
- यह हफ्ता गर्भावस्था का अंतिम सप्ताह होता है। यदि इस हफ्ते के अंतिम दिन तक भी शिशु गर्भाश्य से बाहर आने के लिए तैयार नहीं है या फिर लेबर पेन नहीं हो रहे तो ये चिंता का कारण बन जाता है।
- ऐसी स्थिति में डॉक्टर्स सर्जरी तक करने की सलाह दे देते हैं।
- डयू डेट के बाद भी डिलीवरी न होने पर शिशु की सेहत पर वैसे तो कोई असर नहीं पड़ता लेकिन जब बच्चा कई बार मूव नहीं कर पाता तो यह स्थिति शिशु के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
- 42 वें हफ्ते में गर्भ का हेड-एंगेजमेंट हो जाने से उदर थोडा रिलैक्स हो जाता है तथा गर्भिणी को श्वसन संबंधी आराम पुनः मिलने लगता है।
- इस हफ्ते में गर्भवती महिला का वजन चार-पांच किलो आराम से बढ़ जाता है।
- होने वाले बच्चा 42 वें सप्ताह में अधिक तंदरूस्त होता है और बच्चे की आराम से आंखों की पलकें, सिर के बाल, नाखून और यदि शिशु लड़का है तो उसके अंडकोष आसानी से दिखाई पड़ते है।
- 42 वें हफ्ते में गर्भवती महिला में कुछ लक्षण दिखलाई पड़ते है। जैसे-बच्चे के बढ़ने से दबाव के कारण श्वास लेने में कठिनाई बढ़ जाती है। जल्दी जल्दी मूत्र त्याग, छाती में जलन, कब्ज, सूजे हुए ढीले स्तन, अनिद्रा, पेट में मरोड़।
- आमतौर 42 वें सप्ताह में गर्भवती महिलाएं स्व्स्थ होती हैं तो डिलीवरी के दौरान उन्हें कोई परेशानी नहीं होती लेकिन यदि वे उच्च रक्तचाप या मधुमेह इत्यादि से ग्रस्त हैं तो उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- 42वां हफ्ता जैसे कि गर्भावस्था का अंतिम पड़ाव होता है ऐसे में होने वाला बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है और गर्भवती मां अपने फुल टर्म बेबी को 42 वें हफ्ते में स्वस्थ रूप में पाती है।
गर्भवती स्त्री को थोड़ा बहुत व्यायाम भी करना चाहिए। लेकिन गर्भावस्था के इस अंतिम समय में कोई भारी व्यायम न करें। आपके लिए रोज थोड़ा टहल लेना भी अच्छा व्यायम होता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वज़न बहुत बढ़ता है। नियमित व्यायाम करने से वजन भी नियंत्रित रहता है। गर्भवती स्त्री को सिगरेट और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ये बच्चे और मां दोनों के लिए बहुत खतरनाक होता है। गर्भवती महिला द्वारा पी गई शराब बच्चे के पेट में भी जाती है। इससे बच्चे को गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। इसकी वजह से बच्चे में जन्म के समय दोष आ सकते हैं। इसलिए गर्भवती महिला को इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि वह किन चीज़ों का सेवन कर रही है और इसका बच्चे पर कोई गलत असर तो नहीं होगा।
इस समय गर्भवती को खान पान का विशेष खयाल रखना चाहिए। उसे सही पोषक तत्व उचित मात्रा में लेना चाहिए। क्योंकी मां के द्वार जो कुछ भी खाया जाता है वही बच्चे को भी मिलता है। साथ ही खुद दवाइयां न लें। यदि आपको मतली, उल्टी या चक्कर आते हैं तो खुद से दवाईयां कतई न लें। गर्भावस्था के दौरान जहां तक संभव हो प्राकृतिक उपचार करें। ऐसी किसी की स्थिति में डॉक्टर से जरूर मिलें।
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