गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान शिशु को कैसे प्रभावित करता है
- गर्भनाल से बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
- धूम्रपान करने से गर्भनाल की लंबाई पर भी होता है असर।
- प्रेग्नेंसी में धूम्रपान करने से शिशु को हो सकता है पीलिया।
- प्रेग्नेंसी में धूम्रपान से बच्चे को कैंसर होने का भी रहता है खतरा।
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और निकोटीन वाले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि धूम्रपान करने वाली महिलाओं को न केवल प्रसव के दौरान दिक्कत होती है बल्कि बच्चे में कई प्रकार की विकृतियां हो सकती हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान के शिशु पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में बता रहे हैं। गर्भनाल का निर्माण भ्रूण और मां दोनों की कोशिकाओं से होता है। धूम्रपान करने से गर्भनाल के विकास में दिक्कत होती है। गर्भनाल से बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं। धूम्रपान के कारण गर्भनाल की लंबाई पर भी असर होता है।
गर्भावस्था ही नही सामान्यतया धूम्रपान का असर जीन और डीएनए पर पड़ता है। तंबाकू में पाये जाने वाले निकोटीन का असर खून में बड़ी तेजी से होता है और कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है। आइए जानें प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान करने से शिशु और मां को क्या-क्या कांप्लीकेशन्स हो सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान स्मोकिंग का शिशु पर होने वाला प्रभाव-
- गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक सकता है। बच्चा सामान्य कद से छोटा पैदा होता है।
- बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है। क्योंकि धूम्रपान के कारण उसे जरूरी पोषक तत्व नही मिल पाते हैं और उसका शरीर पूरी तरह विकसित नही हो पाता है।
- धूम्रपान ना करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में साढ़े पाच पाउंड से कम वजन के बच्चे पैदा होने की संभावना दुगनी होती है।
- धूम्रपान करने से गर्भनाल की लंबाई पर असर होता है और और प्रसव के दौरान दिक्कत होती है कई बार तो सिजेरियन (डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन) की नौबत आ जाती है।
- शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है जिसके कारण बच्चे को कई सामान्य बीमारियां होने का खतरा रहता है।
- सामान्य दिनों में भी बच्चे को कोल्ड और फ्लू जैसे रोग ज्यादा होते हैं।
- धूम्रपान के कारण शिशु को अस्थमा जैसे फेफड़े से संबंधित रोग गर्भ में ही हो जाते हैं।
- बच्चे के दिमाग का विकास अच्छे से नही हो पाता है और मेमोरी लॉस होने का खतरा बढ़ जाता है।
- धूम्रपान से दिमाग को नुकसान पहूंचता है और बच्चे की चीजों को समझने की क्षमता और तार्किक क्षमता पर प्रतिकूल असर होता है।
- फेफड़ों का विकास न हो पाने के कारण शिशु को कुछ दिन तक सांस लेने वाली मशीन पर रखा जा सकता है। ऐसी स्थिति निकोटीन के प्रभाव के कारण होती है।
- गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली मां से पैदा हुए बच्चे अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम और अस्थमा (एसआईडीएस) की चपेट में आ सकते हैं।
- गर्भपात की नौबत भी आ सकती है। अक्सर गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान और ड्रग्स लेने ब्लीडिंग होती है और एबॉर्शन की नौबत आ जाती है।
- गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से भ्रूण के शरीर में खून का संचार अच्छे से नही होता है जिसके कारण खून की कमी हो जाती है और शिशु को एनीमिया रोग गर्भ में ही हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी में धूम्रपान करने से शिशु को पीलिया रोग गर्भ में हो जाता है और इसके कारण शिशु की मौत भी हो सकती है।
- चूंकि धूम्रपान कैंसर का कारण भी है इसलिए यह गर्भावस्था के दौरान शिशु को भी प्रभावित करता है और बच्चे को कैंसर होने का खतरा रहता है।
इसलिए अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको धूम्रपान की लत है तो इसे छोड़ दीजिए क्योंकि यह आपके शिशु और आप दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है और प्रेग्नेंसी में कई प्रकार की जटिलता का कारण बनता है।
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Source: ओन्ली माई हैल्थ सम्पादकीय विभाग Mar 01, 2013
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