
गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज का स्तर बढ़ने से डायबिटीज की आशंका बढ़ जाती है, इसे गर्भावधि मुधमेह कहते हैं। गर्भावस्था में आमतौर पर टाइप1 डायबिटीज होने का ज्यादा खतरा रहता है।
गर्भावस्था के दौरान महिला को कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बीमारियों के पनपने का कारण यह होता है कि इस दौरान महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से महिला के रक्त में ग्लूकोज बनना कम हो जाता है, जो कि डायबिटीज का संकेत होता है।
गर्भावस्था में मधुमेह का बढ़ता खतरा टाइप1 डायबिटीज का संक्रमण फैलाता है। हालांकि यह एक असंक्रामक रोग है, लेकिन इसका सीधा प्रभाव प्रतिरक्षा प्रणाली पर पड़ता है। गर्भावधि मधुमेह का असर महिला के साथ ही उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसे भ्रूण के लिए ज्यादा घातक माना जाता है। इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं गर्भावस्था और टाइप 1 डायबिटीज के बारे में विस्तार से।
- गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन की कमी के कारण मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
- टाइप 1 डायबिटीज में प्रतिरक्षा प्रणाली पाचन ग्रंथियां में इन्सुलिन पैदा कर बीटा कोशिकाओं को प्रभावित कर उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति में पाचन ग्रंथियां कम मात्रा में या न के बराबर इन्सुलिन पैदा करती हैं।
- टाइप 1 डायबिटीज के मरीज को खासकर गर्भावस्था में स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन इन्सुलिन की आवश्यकता होती है।
- टाइप 1 डायबिटीज की समस्या मुख्य रूप से बच्चों, वयस्कों और गर्भवती महिलाओं में होती है, हालांकि यह परेशानी किसी भी उम्र में हो सकती है।
- टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर कम समय में ही विकसित हो जाते हैं, लेकिन बीटा कोशिकाएं लगातार कम होने से खतरा अधिक बढ़ जाता है।
- गर्भावस्था में आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों में प्यास लगना और पेशाब का बार-बार आना शामिल है। इसमें लगातार भूख लगती रहती है। वजन कम हो जाता है और आंखों से धुंधला दिखाई देना शुरू हो जाता है। इसमें महिला को तेजी से बढ़ने वाले मोटापे की भी समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था में डायबिटीज होने से हार्मोंस में अंसतलुन हो सकता है।
- गर्भावस्था में होने वाले मधुमेह के दो रूप है। पहला टाइप1 डायबिटीज और दूसरा टाइप 2 डायबिटीज।
- हालांकि गर्भावस्था में डायबिटीज से जोखिम बहुत ज्यादा नहीं होता लेकिन इसका सही तरह से इलाज न कराया जाए तो इससे डायबिटीज कीटोएसीडोसिस की स्थिति पैदा हो सकती है।
गर्भावस्था में डायबिटीज न हो इसके लिए महिला को अपने खानपान का ध्यान रखना जरूरी है। इस समय आपको समय-समय पर अपने चिकित्सक से परमार्श लेना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना भी अच्छा रहता है।
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