
आर्थराइटिस से गंभीर रूप से पीडि़त मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। वे शायद जल्दी ही अब इस बेहद कष्टकारी बीमारी से मुक्ति पा सकेंगे।
आर्थराइटिस से गंभीर रूप से पीडि़त मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। वे शायद जल्दी ही अब इस बेहद कष्टकारी बीमारी से मुक्ति पा सकेंगे। नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने दो ऐसे जीन का पता लगा लिया है जिनकी वजह से आर्थराइटिस या घुटनों का स्पेंडिलाइटिस होता है।
आर्थराइटिस से बचाव अब पहले से आसान हैं। डेली टेलीग्राफ ने मुख्य शोधार्थी पाल वर्ड्सवर्थ के हवाला से कहा है कि घुटनों के जोड़ों में होने वाले भयंकर दर्द यानी आर्थराइटिस के पीछे मुख्य रूप से ये दो जीन जिम्मेदार होते हैं।
[इसे भी पढें- गठिया है तो शाकाहार अपनायें]
आर्थराइटिस में घुटने की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और घुटनों के स्पेंडिलाइटिस में तो असह्य दर्द के साथ रीढ़ की हड्डी को भी नुकसान पहुंचता है। वर्ड्सवर्थ ने कहा कि इस खोज से हमें आर्थराइटिस का कोई प्रभावी निदान ढूंढने में मदद मिल सकेगी। वड्सवर्थ और न्यूफील्ड डिपार्टमेंट आफ मेडिसीन, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधर्थियों ने अध्ययन के दौरान आर्थराइटिस के एक हजार मरीजों की जेनेटिक संरचना का 15 सौ स्वस्थ्य लोगों की जेनेटिक संरचना से तुलना की।
[इसे भी पढें- पाएं निजात जोड़ों के दर्द से]
इन्होंने आर्थराइटिस के मरीजों में दो जीन ज्यादा प्रभावी पाया। ये जीन आदमी की प्रतिरोधक क्षमता पर काफी बुरा असर डालते हैं। वर्ड्सवर्थ ने बताया कि एक जीन आईएल23आर तो सीधे तौर पर घुटने के स्पेंडिलाइटिस से जुड़ा हुआ है।
Read More Articles on Arthritis in Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।