
शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। धूल-कण अस्थमा से प्रभावित लोगों के लिए बीमारी की एक अहम वजह है। यदि आप भी अस्थमा से पीडि़त हैं तो आपको इसको नियंत्रित करने के उपायों की जानकारी होनी चाहि
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। यह बीमारी फेफड़ों के अंदर जाने वाले वायु मार्ग को संकीर्ण कर देती है। जिससे सूजन के साथ श्लेष्णा और कफ पैदा होने लगता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है। इससे सांस लेने में समस्या आने लगती है। अस्थमा में सांस सामान्य से तेज चलती हैं। सांस लेने में कठिनाई होती है। सीटी या घरघराहट के साथ सांस चलती है। धूल, सर्दी-जुकाम, पराग कण, पालतु जानवरों के बाल एवं वायु प्रदुषक को अस्थमा का प्रमुख कारण माना जाता है।
अस्थमा के प्रारम्भिक लक्षण
- अत्यधिक खांसी
- बलगम या कफ में वृद्धि
- तनाव या व्यायाम के दौरान सांस की कमी
- सिरदर्द या बुखार
- जुकाम, नाक बहना या बंद होना
- बार-बार छींकना
अस्थमा से बचाव
जानवरों से दूरी बनाकर रखें
अस्थमा के लक्षणों को काबू करने के लिए घर में एलर्जी के कारकों को नष्ट किया जाना चाहिए। कुछ लोगों को पूरी तरह से पालतू जानवरों के साथ नहीं रहना चाहिए। उनको शयन-कक्ष से बाहर रखना चाहिए और नियमित रूप से स्नान करना चहिये। यदि धूल के कण ट्रिगर कर रहे हैं तो कुछ धूल विरोधी उपाय इस्तेमाल करने चाहिए जैसे सारे घर की सफाई, गद्दों का झाड़ना, बिस्तर की लगातार बहुत गर्म पानी से धुलाई, कालीनों को हटाना और भारी परदों को सोनेवाले स्थान हटाना। वायरल संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना चाहिए।
फाइबर को आहार में शामिल करें
स्वीट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ लाउसाने में हुए एक शोध के अनुसार बेंजामिन मार्सलैंड और उनके सहयोगियों ने पाया कि फल और सब्जियों में मौजूद फाइबर का स्तर आंतों में जीवाणुओं के स्तर को इस तरह प्रभावित करता है कि शरीर एलर्जी से होने वाले अटैक के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। शोध के नतीजों में सामने आया है कि फाइबर के सेवन से इम्यून सिस्टम में कई तरह के बदलाव होते हैं जो एलर्जिक अस्थमा से बचाव करने में खासा कारगर हैं।
शहद और हल्दी का सेवन
अस्थमा की चिकित्सा में शहद बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। अगर अस्थमा का रोगी एक जग में शहद भरकर और फिर उसके नजदीक जाकर सांस लें तो उसकी सांस की तकलीफ दूर होकर वह हल्का महसूस करता है। इसके अलावा अस्थमा के लिए हल्दी भी एक बहुत अच्छी दवाई मानी जाती है। अस्थमा होने पर दिन में दो से तीन बार एक गिलास दूध में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर देने से रोग में फायदा होता है।
योग को अपनाये
अस्थमा से पीड़ित लोगों को खुली और ताजी हवा में ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए। इसी के साथ ही भरपूर रोशनी भी लेनी चाहिए। इसके लिए उन्हें धूप में समय बिताना चाहिए। अस्थमा का स्थायी इलाज मुमकिन नहीं है। लेकिन इसे कंट्रोल में रखने के लिए आप प्रणायाम का सहारा ले सकते हैं। इससे फेफड़ों की काम करने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके अलावा पर्वतासन, कटिचक्रासन और सूर्य नमस्कार भी कर सकते हैं।
इन सब उपायों को अपनाकर अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति जिंदगी को दूसरों की तरह ही खुशहाल और स्वस्थ बनाकर सफल जीवन जी सकते हैं।
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