वातावरण और हमारे खुद के शरीर में मौजूद तमाम हानिकारक वायरस और बैक्टीरिया हमारे शरीर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उन्हें नुकसान पहुंचाने से रोकती है और शरीर की रक्षा करती है। हमारा इम्यून सिस्टम इस तरह से बनाया गया है कि ये हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करे और शरीर के लिए जरूरी बैक्टीरिया को नुकसान न पहुंचाए। मगर कई बार इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से इम्यून सिस्टम हानिकारक और जरूरी बैक्टीरिया के बीच अंतर नहीं कर पाता है और शरीर के स्वस्थ ऊतकों को ही नुकसान पहुंचाने लगता है। इसकी वजह से हमारे जोड़ों, नसों, मांसपेशियों, हड्डियों, और त्वचा आदि पर प्रभाव पड़ता है। इन्हीं रोगों को ऑटोइम्यून डिजीज कहते हैं।
शोध में पाया गया है कि ऑटोइम्यून डिजीज के आमतौर पर दो कारण होते हैं। पहला कि ये आपके शरीर में आपके माता-पिता से आया हो, यानि अनुवांशिक रूप से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो। दूसरा आपको ये रोग वातावरण में मौजूद वायरस के कारण भी हो सकता है। शोध में ये भी पाया गया है कि ऑटोइम्यून डिजीज का खतरा पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होता है। कई बार इसका कारण हार्मोन्स में कोई गड़बड़ी भी हो सकती है। ऑटोइम्यून डिजीज कई बार बहुत खतरनाक हो सकता है।
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ऑटोइम्यून डिजीज में टाइप 1 डायबिटीज भी शामिल है। दरअसल हमारे पैंक्रियाज में एक विशेष हार्मोन बनता है जिसका नाम इंसुलिन है। ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित करने और कई अन्य कामों में ये हार्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही हार्मोन हमारे शरीर में आहार को ऊर्जा में बदलता है। कई बार आपका इम्यून सिस्टम आपके शरीर में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को ही मार देता है, जिससे शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। इसके कारण ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है और डायबिटीज हो जाता है। इससे बचाव के लिए अपने ब्लड प्रेशर पर नजर रखनी जरूरी है।
मल्टिपल स्कलैरोसिस भी एक तरह का ऑटोइम्यून डिजीज है। मल्टिपल स्कलैरोसिस होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। जिसके कारण शरीर का सेंट्रल नर्वस सिस्टम ही खराब होने लगता है और सूजन आ जाती है। इसके कारण दिमाग और शरीर के अन्य हिस्सों तक सिग्नल पहुंचाने वाले टिशूज खराब हो जाते हैं इसके कारण शरीर में दर्द होने लगता है और कमजोरी महसूस होती है। इसके अलावा अंगों को हिलाने-डुलाने और बैलेंस बनाने में भी समस्या होने लगती है।
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शरीर का इम्यून सिस्टम खराब हो जाने के कारण वायरस आंतों पर घातक हमला कर देते हैं, जिसके कारण उनमें सूजन आ जाती है और क्रोंस डिजीज और अल्सरेटिव कॉलिटिस जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से आंतों से खून रिसने लगता है और पेट में तेज दर्द होता है। क्रोंस डिजीज आमतौर पर आंतों के आखिरी हिस्से में होता है जबकि अल्सरेटिव कॉलिटिस पेट के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
रूमेटॉइड अर्थराइटिस जोड़ों की एक गंभीर बीमारी है। इसमें शरीर के जोड़ वाले अंगों के ऊतक क्षतिग्रस्त होने लगते हैं, जिस वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन होने लगती है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण अंगों को नुकसान पहुंचता है और सूजन के कारण हड्डियां और कार्टिलेज क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। रूमेटॉइड आर्थराइटिस दिल और फेफड़े की बीमारियों का भी कारण बनता है।
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