क्या आप कभी बच्चे की किसी शरारत पर तो कभी उसकी किसी गलती पर, अक्सर हम उन्हें पीटकर 'सुधारने' की कोशिश करते हैं। क्या आप किसी और बात का गुस्सा बच्चे को पीटकर शांत कर लेते हैं। अगर आपका जवाब हां है तो सावधान हो जाइए। ऐसा करके आप अपने बच्चे को अधिक आक्रामक बना रहे हैं। और साथ ही उसके व्यवहार निर्माण को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।
एक नये शोध में यह बात सामने आयी है कि बच्चों को मारना-पीटना उन्हें अधिक आक्रामक बनाता है। साथ ही वे बुरा बर्ताव करने लगते हैं। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए क्या तरीके अपनाये जाते हैं, इसका उनके व्यवहार पर सीधा और गहरा असर पड़ता है। इससे इस बात पर कोई असर नहीं पड़ता कि बाकी समय में बच्चों के साथ आप कैसा बर्ताव करते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन ऑफ सोशल वर्क में सहायक प्रोफेसर शावना ली के मुताबिक, आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि पिता और बच्चों के बीच सकारात्मक रिश्तों के दौरान अगर बच्चों की पिटाई की जाती है, तो इससे बच्चे को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचता। इस शोध में हमने इस प्रचलित मान्यता को परखा और पाया कि पिटाई से कुछ समय बाद बच्चों के व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ता है। इससे इस बात का भी कोई लेना-देना नहीं है कि मांएं अपने बच्चों के साथ कितनी गर्मजोशी से मिलती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि कई शोध इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं कि पिटाई से बच्चों में आक्रामकता बढ़ती है, लेकिन इसके बावजूद अनुशासित रखने के नाम पर बच्चों को पिटाई की जाती है।
इस शोध में 3200 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे। इनमें व्हाइट, अफ्रीकन अमेरिकन और हिस्पेनिक परिवारों ने भाग लिया। डाटा तब एकत्रित किया गया जब बच्चों की उम्र एक, तीन और पांच वर्ष थी।
मांओं ने बताया कि लगभग कितने अंतराल पर बच्चों की पिटाई होती है और इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के आक्रामक बर्ताव और बच्चों के प्रति अपने सकारात्मक व्यवहार के बारे में भी बताया।
यह शोध जर्नल डेवलपमेंट साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
इसके अलावा एक अन्य शोध में यह बात भी सामने आयी है कि जिन किशोरों पर उनके अभिभावक चिल्लाते हैं, उनमें अवसाद और बेवजह तर्क करने की आदत भी पड़ जाती है।
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