वेस्टिब्यूलर प्रणाली के अंतर्गत भीतरी कान और दिमाग के कुछ हिस्से आते हैं, जोकि आई मूवमेंट को नियंत्रित करने की संवेदी प्रक्रिया की जानकारी देते हैं। यदि इन प्रसंस्करण क्षेत्रों (प्रोसेस एरिया) को कोई बीमारी या चोट आदि लगती है, तो वेस्टिब्यूलर डिजीज हो सकती है। आनुवंशिक या पर्यावरणीय कारणों से भी वेस्टिब्यूलर डिजीज हो सकती है, या इसके कारण यह और गंभीर हो सकती है। हालांकि इसके होने के सही-सही कारण अभी तक पता नहीं चले हैं।
सबसे कॉमन वेस्टिब्यूलर डिजीज में बिनाइन परोक्सिमल पोजिशनल वर्टिगो (BPPV), लबीरिन्थिटिस (labyrinthitis) और वेस्टिब्यूलर न्युरैटिस तथा सेकेंडरी एन्डोलीमफाटिक हाइड्रोप्स (secondary endolymphatic hydrops) आदि शामिल होती हैं। इसके अलावा वेस्टिब्यूलर डिजीज के अंतर्गत सुपीरियर सेमीसर्कुलर कैनाल डिहिसेन्स, एकॉस्टिक न्युरोमा, परिलयम्फ फिस्टुला, ऑटोटॉक्सिसिटि, एंलार्जेड वेस्टिब्यूलर अकॅडक्ट, माइग्रेन-एसोसिएटेड वर्टिगो तथा वेस्टिब्यूलर अकॅडक्ट, माइग्रेन-एसोसिएटेड वर्टिगो आदि शामिल होते हैं।
एकोस्टिक न्युरोमा को वेस्टिब्यूलर स्च्वान्नोमा (schwannoma) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक गंभीर ट्यूमर होता है, जो कि भीतरी कान के बरोठा-कर्णावत तंत्रिका (वेस्टिबुले-कोच्लेअर) के खोल पर विकसित होता है। ये तंत्रिका मस्तिष्क के लिए संतुलन और ध्वनि जानकारी दोनों को पहुंचने का काम करती है। एकोस्टिक न्युरोमा बढ़ता है और एकोस्टिक तंत्रिका को भींच देता है। जिसके कारण करण सुनने की क्षमता में बाधा, टिनिटस, और चक्कर आना या फिर संतुलन की हानि आदि समस्याएं होती हैं।
वेस्टिब्यूलर समस्याएं आयु बढ़ने के साथ होने वाली दिमागी समस्याएं, जैसे दृष्टि विकार, न्यूरोपैथी, मनोवैज्ञानिक आदि में से एक होती है। और इनसे संबेधित भी हो सकती है। हालांकि, वेस्टिब्यूलर विकार को आयु बढ़ने के साथ चक्कर आने की समस्या का एक बढ़ा कारण माना जाता है।
हमारी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, शरीर को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने का काम करती है। लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली में कोई एक खराबी शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को दुश्मन समझ कर उन पर हमला होने का कारण बन सकती है। प्रतिरक्षा प्रणाली में हुई खराबी इसे काम को नुकसान पहुंचाने का कारण भी बन सकती है। यदि यह कान पर सीधा हमला ना भी करे, तो भी यह अन्य स्थानों से कचरा कान में पहुंचा सकती है। जिस कारण काम में समस्याएं हो सकती हैं।
यह एक सामान्य वेस्टिब्यूलर विकार है, जिसके कारण सिर चकराना, थकावट तथा कुछ अन्य लक्षम हो सकते हैं। ऐसा काम के भीतरी भाग में मलबे (otoconia) के जमा हो जाने के कारण होता है। BPPV जीवन के लिए किसी प्रकार के जोखिम का कारण तो नहीं बनता, लेकिन इसके कारण कोई व्यक्ति कान में सनसनाहट, चक्कर आना (लगातार या रुक-रुक कर) महसूस कर सकता है। वर्टिगो अचानक और सिर की स्थिति में परिवर्तन के साथ होता है।
इस प्रकार से चक्कर आना (डिज़्ज़िनेस) गर्दन के दर्द के कारण होता है। ये दोनों अक्सर एक साथ होते हैं, इसलिए ये कहना मुश्किल होता है कि यह एक संयोग है या ये एक दूसरे से संबंधित हैं। सर्विकोगेनिक डिज़्ज़िनेस, सिर को हिलाने या काफी देर तक एक ही स्थिति में रखने पर और भी ज्यादा हो जाता है।
टिनिटस वास्तव में कई प्रकार के वेस्टिब्यूलर विकारों का लक्षण होता है। लेकिन यह खुद एक वेस्टिब्यूलर विकार नहीं है। टिनिटस में एक या दोनों कानों में या सिर में असामान्य शोर जैसा महसूस होता है। ये असामान्य शोर अनियमित अंतराल पर शुरू व बंद होता है। ये स्थिर और निरंतर भी हो सकता है।
इस प्रकार के बैलेंस विकार का उपचार करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले इस बात की जांच करता है कि ये चक्कर आना किसी चिकित्सा हालत या दवा के कारण तो नहीं होता है। यदि वह ऐसा पाता है, तब वह इसका उपचार करता है या फिर उपयुक्त दवाएं देता है।
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