इरेक्टाइल डिसफंक्शन से कैसे बचें
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन
सेक्स के दौरान पेनिस में इरेक्शन (तनाव) के खत्म हो जाने को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (स्तंभनदोष) कहा जाता है। कुछ लोगों में सेक्स के बारे में सोचने पर मात्र से ही इरेक्शन हो जाता है] जबकि कुछ लोगों को यह बिल्कुल नही होता। इस समस्या में सेक्स करते समय पेनिस का ढिलापन और पेनिस के वैजाइना में प्रवेश के बाद इरेक्शन कम हो जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इरेक्टाइल डिसफंक्शन लाइलाज नहीं है, इसे उपचारित किया जा सकता है।
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इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कारण और दुष्प्रभाव
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से पीड़ित अधिकांश लोग चिड़चिडे हो जाते हैं और उनका कॉन्फिडेंस भी कम हो जाता है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की वजह शारीरिक या मानसिक हो सकती है। अगर किसी खास समय इरेक्शन हो और सेक्स के दौरान नहीं तो यह समस्या मानसिक होती है। खास समय का मतलब सुबह सोकर उठने पर, पेशाब करते वक्त या सेक्स के बारे में सोचने आदि समय पर यदि इरेक्शन नही होता है तो समस्या शारीरिक स्तर पर है। कुल मिलाकर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कारण आपका निजी और कामकाजी दोनों जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन से बचना है तो डायबिटीज को करें काबू
'आरएसएसडीआई', के एक अध्ययन के अनुसार मध्यम वय के मधुमेह ग्रस्त 50 से 60 प्रतिशत लोग इरेक्टाइल डिसफंक्शन से ग्रस्त होते हैं। मधुमेह, इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या का सबसे प्रमुख कारण है। हालांकि ऐसे रोगियों के हार्मोन असंतुलन को ठीक करके उनके स्वस्थ यौन जीवन को दोबारा लाया जा सकता है। अध्ययनों के अनुसार तकरीबन 36 प्रतिशत मधुमेह रोगी 'हाइपोगोनाडोट्रॉपिक हाइपोगोनाडिज्म' नामक विशेष स्थिति से ग्रस्त हैं। इनमें सेक्स ग्रंथियों के उत्तेजित होने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।
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तनाव को करें दूर
तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कॉर्टिसोल प्रमुख होते हैं। इनकी वजह से शरीर में कई अनचाहे बदलाव होते हैं और नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है तथा इम्यून सिस्टम भी कमजोर पड़ जाता है। इसके कारण भी सेक्सुअल डिसफंक्शन की समस्या होती है। इसलिए इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से बचने के लिए तनाव मुक्त रहें।
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ब्लड प्रेशर या हार्ट प्रोबलम्स से बचें
पेनिस के सख्त होने का मुख्य कारण उसमें खून का बहाव होता है। जब कभी भी लिंग में खून के बहाव में कमी आती है, तो उसमें पूरी सख्ती नही आ पाती और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन शुरू हो जाता है। ब्लड प्रेशर या हार्ट प्रोबलम्स होने पर यह ज्यादा होता है इसलिए इन समस्याओं से बचना चाहिए।
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हार्मोन थेरेपी
हार्मोन्स के स्तर में बदलाव के कारण भी यह समस्या हो सकती है। यदि हॉर्मोन की कमी के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो रहा है तो, हॉर्मोन थेरेपी की मदद से इसे 2 से 3 महीनों के अंदर ठीक किया जा सकता है।
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रक्त प्रवाह
जब पेनिस में आर्टरीज में ब्लॉकेज आने के कारण ब्लड सप्लाई में कमी आती है, तो दवाओं की मदद से इस ब्लॉकेज को खोला जा सकता है। और लिंग में फिर से तनाव आने लगता है।
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सेक्स थेरेपी
कुछ मामलों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या शारीरिक न होकर मानसिक हो सकती है। ऐसे में मरीज को सेक्स थेरेपी की मदद से सेक्स संबंधी जानकारियां दी जाती हैं। वैक्युम पंप, इंजेक्शन थेरेपी व दवाओं की मदद से इसे दूर किया जा सकता है।
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तात्कालिक उपचार
यह समस्या काफी पुरानी है, 90 के दशक में चिकित्सकों ने इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के उपचार के लिए लिंग में लगाए जा सकने वाले इंजेक्शन इजाद कर लिये थे। ये काफी हद तक सफल होते हैं। इसमें पेपावरिन, फेंटोलेमीन या एलप्रोस्टेडिल आदि के इंजेक्शन का उपयोग किया जाता है। लेकिन यह इलाज पूर्ण रूप से तात्कालिक होता है।
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कृत्रिम लिंग प्रत्यारोपण
जब सभी उपचार विफल हो जायें, तो कृत्रिम लिंग-प्रत्यारोपण करना पड़ता है। यह प्रत्यारोपण दो प्रकार से होता है। लेकिन कृत्रिम लिंग प्रत्यारोपण एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे अंतिम उपचार के तौर पर किया जाता है।
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आयुर्वेदिक उपचार
इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का आयुर्वेदिक उपचार भी किया जा सकता है। इसके लिए कुछ विशेष औषधियों का प्रयोग होता है जैसे, शिलाजीत, अश्वगंधा, शतावरी, केशर, सफेद मूसली, जिंको बिलोबा, जिंसेन्ग आदि। सेक्स समस्याओं के लिए शिलाजीत एक जाना माना और कारगर आयुवर्धक रसायन रहा है। जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के साथ-साथ इससे कारण हो सकने वाली बीमारियों जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा आदि रोगों का उपचार भी करता है।