फर्टिलिटी से जुड़े आठ तथ्य
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फर्टिलिटी के तथ्य
फर्टिलिटी करना एक पेचीदा विषय है। इसका निर्धारण करने में कई कारक उत्तरदायी होते हैं। कई कारण ऐसे होते हैं जिनके बारे में हम अकसर अनजान रहते हैं। और इनकी अनदेखी करते हैं। आइये जाने फर्टिलिटी से जुड़े ऐसे ही रोचक किंतु उपयोगी तथ्य।
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उम्र
अध्ययन से पता चलता है कि फर्टिलिटी में उम्र की अपनी एक भूमिका होती है। ब्रिस्टल और ब्रुनेल विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने गर्भ धारण करने के लिए उम्र के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए 8,500 जोड़ों का मूल्यांकन किया। उन्होंने पाया कि एक वर्ष तक कोशिश करने के बाद 25 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों में केवल 8 प्रतिशत की कोशिश ही विफल हुई, जबकि 35 की उम्र के बाद के पुरूषों में यह 15 प्रतिशत था।
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सही समय
शुक्राणु 72-120 घंटे तक जीवित रहते हैं, लेकिन अंडा अंडाशय छोड़ने के बाद 12 से 24 घंटे तक ही जीवित रहता है। कई बार इसके कारण गर्भ धारण करने में कई महीने लग सकते हैं। इस तरह की देरी सामान्य है और इसे इंफर्टिलिटी के रूप में नही माना जाता। सही समय पर यौन संबंध बनाने की योजना से गर्भाधारण की संभावना बढ़ जाती है।
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वजन का प्रजनन क्षमता पर असर
मोटापा भी पुरुषों में इंफर्टिलिटी और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने का एक कारण है। एक अध्ययन के अनुसार जिन महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) सामान्य से ऊपर होता है, उन्हें सामान्य बीएमआई की महिलाओं की तुलना में गर्भवती होने में लंबा समय लगता है। जो लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं वह वजन कम कर प्रजनन और गर्भावस्था के परिणामों में सुधार कर सकते हैं। काफी कम वजन भी हार्मोन में परिवर्तन कर प्रजनन अंगों पर करता है जो इंफर्टिलिटी का एक और कारण हो सकता है।
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अंडरवियर से प्रजनन क्षमता को प्रभाव
बहुत उच्च तापमान शुक्राणु के लिए हानिकारक हो सकता है और यही वजह है कि हाल ही में पुरुषों ने शुक्राणुओं की संख्या या एकाग्रता में कमी के डर से अंडरवीयर पहनने से बचने के लिए कहा गया। हालांकि, हाल ही के दो अध्ययन के अनुसार, अंडरवियर का चुनाव से इस बात पर कोई फर्क नही पड़ता।
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गर्भनिरोधक से भी पड़ता है असर
महिलाएं गर्भनिरोध के लिए किस तरह के उपाय चुनती हैं इसका भी असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। वे महिलाएं, जो गर्भनिरोध के लिए प्रोगेस्टेडरॉन इंजेक्शन अथवा डेपो-प्रोवेरा का इस्तेमाल करती हैं, दवा छोड़ने के छह से नौ महीने के बाद उनकी प्रजनन क्षमता के सामान्य स्तर पर पहुंचती है। कई बार इसमें एक वर्ष तक लग जाता है। गर्भनिरोधक गोलियां प्रजनन क्षमता को बचाने में मदद करती हैं। गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में उन बीमारियों का खतरा कम होता है, जो उनकी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती हैं। तो, अपना गर्भनिरोधक चुनते समय विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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सेक्स पोजीशन से नहीं पड़ता गर्भाधान पर प्रभाव
हालांकि, इसे लेकर लोगों के मन में कई प्रकार की भ्रांतियां मौजूद हैं, लेकिन मोटे तौर पर सेक्स पोजीशन्स का गर्भाधान पर कोई असर नहीं पड़ता। संभोग के बाद लेटे रहने से वीर्य को शरीर में अंदर तक जाने में मदद मिलती है। लेकिन, संभोग के दौरान 'कलाबाजियां' करने से गर्भाधान पर कोई असर पड़ता हो, ऐसा नहीं है।
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अच्छा स्वास्थ्य फर्टिलिटी की गारंटी नहीं है
दस स्वस्थ जोड़ों में से एक प्रजनन उम्र में प्रजनन समस्याओं का अनुभव करता है। सबसे बड़ा कारक जो फर्टिलिटी को प्रभावित करता है वह है उम्र। स्वस्थ महिलाओं के लिए, 20 साल के आस पास फर्टिलिटी तेज होती है, 27 साल में उसमें गिरावट आनी शुरू हो जाती है और 37 साल की उम्र के आसपास उसमें भारी गिरावट आने लगती है। अगर आपकी उम्र 30 के आसपास यह उससे ज्यादा है और साथ ही आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो सेक्स के दौरान बहुत सुनिश्चित होने की जरूरत है। इस तरह से इसके लिए कोशिश कर रहे, स्वस्थ पुरुष या महिला भी खुद को असहाय पा सकते हैं।
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लाइफस्टाइल से फर्टिलिटी पर प्रभाव
जीवनशैली के कारक जैसे धूम्रपान, बहुत ज्यादा शराब पीना, ड्रग्स लेना और प्रसंस्कृत खाद्य खाना, आपके लिए अच्छे नहीं। एक अध्ययन से पता चलता है, धूम्रपान करने वालों पुरूषों में शुक्राणु की एकाग्रता, गैर धूम्रपान करने वालों की तुलना में कम पाई जाती है। इस तरह से आपकी जीवन शैली आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।