बायपोलर डिस्ऑर्डर का रिश्तों पर असर
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बायपोलर डिस्ऑर्डर और रिश्तों की चुनौतियां
जब आप किसी रिलेशनशिप में हों और आपको बायपोलर डिस्ऑर्डर हो, तो आप और आपका साथी दोनों बायपोलर डिस्ऑर्डर के लक्षणों से प्रभावित हो सकते हैं। अपने रिश्ते को न केवल बचाने के लिए, बल्कि उसे आगे बढ़ाने के लिए आप दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत होती है। इसके साथ ही आपको उन चुनौतियों का भी सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए, जो आप दोनों के बीच आ सकती हैं।
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बातचीत में होती है मुश्किल
बायपोलर डिस्ऑर्डर के दौरान व्यक्ति उन्माद में अथवा अवसादग्रस्त हो सकता है। उस व्यक्ति को दूसरों के साथ बात करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दोनों ही परिस्थितियां आपको अपने आसपास की गतिविधियों पर ध्यान देने की, सुनने की और पहचानने की क्षमता पर असर पड़ता है। वह संवाद नहीं कर पाता। उसके शारीरिक और भावनात्मक संकेत भी समझ में नहीं आते।
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आत्म-केंद्रिता का खतरा
जब बॉयपोलर डिस्ऑर्डर के दौरान आप अपने साथी से बात करने लगते हैं, तो कई बार गैरजरूरी बहस में पड़ जाते हैं। आप बहुत अधिक आत्म-केंद्रित अथवा चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। आपका स्वभाव आपकी साथी को भी परेशान कर सकता है। बेशक, आप ऐसा न करना चाहते हों, लेकिन आपका यह व्यवहार आपके साथी के लिए मुश्किलें पैदा करता है और आप अपने रिश्ते को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। आपको साथी स्वयं को अकेला, तन्हा, उपेक्षित और यहां तक कि ठुकराया हुआ भी महसूस कर सकता है। यह सब उस बायपोलर डिस्ऑर्डर के दौरान आपके द्वारा किये गए बर्ताव के कारण ही होता है।
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अवसाद और उन्माद को समझना
यदि आप किसी रिलेशनशिप में हैं और आपके साथी को बायपोलर डिस्ऑर्डर है, तो आपको काफी कुछ संभालना पड़ सकता है। आपके साथी का व्यवहार कभी भी बदल सकता है। यह किसी बरसाती नदी की तरह हो सकता है, जिसके बहाव के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। एक दिन आप साथ हंस रहे हो सकते हैं और अगले दिन डिप्रेशन आपको घेर सकता है। अचानक आप खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं और अपने साथी से दूर होने लगते हैं। आपकी शिकायत कर सकते हैं या फिर बहुत जल्दी इस माहौल से इरिटेट हो जाते हैं।
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उन्माद के दौरान
बायपोलर डिस्ऑर्डर के दौरान आप काफी उत्तेजित होते हैं, तो आप बहुत ज्यादा ऊर्जावान होकर मजाक करते हैं या फिर बहुत रोमांटिक महसूस करते हैं। आपका अच्छा मूड और ऊर्जा संक्रामक हो सकता है। जैसे-जैसे इसका असर तेज होता जाता है, व्यक्ति अधिक कष्टप्रद, अप्रिय, लापरवाह, और कभी कभी आक्रामक और विनाशकारी भी हो सकता है।
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कई बार माफ करना आसान
जानकार कहते हैं कि इन सब बातों का सबसे रोचक पल यह है कि यह घटना जितनी अधिक तीव्र होती है, तो आपके साथी के लिए इसे बीमारी समझकर भूल जाना और माफ करना उतना ही आसान होता है। जब आपको बायपोलर डिस्ऑर्डर का हल्का अटैक होता है, तो आपके रिश्ते को भी सामान्य जोड़ों की तरह कुछ समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।
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टूटता है यकीन
जब उन्माद और अवसाद की ये घटनायें नियमित होने लगती हैं, तो बायपोलर के लक्षण यकीन और प्रतिबद्धता को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिक शोध में यह बात साबित हुई है कि बायपोलर डिस्ऑर्डर की इन समस्याओं के अधिकतर मामले तलाक तक पहुंचते हैं।
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बात कुछ होती रहे
किसी भी अच्छे रिश्ते के लिए संवाद होना बहुत जरूरी है। संवाद खत्म होना, रिश्ता खत्म होने की शुरुआत होती है। और अगर यह संवाद लंबे समय तक टूटा रहे, तो बायपोलर डिस्ऑर्डर के लक्षण नजर आने पर आपके रिश्ते को और भी मुश्किल वक्त से गुजरना पड़ सकता है। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं है कि आपका रिश्ता खत्म हो गया। एक मजबूत रिश्ता, एक दूसरे के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता से जुड़ा होता है। और बायपोलर डिस्ऑर्डर को समझकर आप अपने रिश्ते को टूटने से बचा सकते हैं।
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चलो घर फिर से सजाया जाए
जब बायपोलर के लक्षण नजर न आ रहे हों उस समय, उन बातों और मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करें, जो बायपोलर के दौरान सामने आये थे। उन भावनाओं और विरोधाभासों को सुलझाने का प्रयास करें, जिनसे दूसरे साथी को परेशानी हुई थी।
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थेरेपिस्ट से करें बात
आप और आपके साथी दोनों को, बायपोलर डिस्ऑर्डर में एक दूसरे की मदद करने की जरूरत होती है। जब आप समस्या को सुलझाने का प्रयास कर रहे हों, तो एक दो बार थेरेपिस्ट से बात जरूर करें। मनोचिकित्सक से संवाद करने के बाद आपको बहुत फायदा होगा। वह बायपोलर डिस्ऑर्डर की समस्या को समझता है। उसकी सलाह आपके रिश्ते को संवारने में बहुत मदद करेगी। आपको यह जानने-समझने में आसानी होगी कि अपने साथी से कैसे बात की जाए। आपसी संवाद को कैसे स्पष्ट और सकारात्मक रखा जाए। थेरेपिस्ट के पास अकेले न जाएं। बेहतर होगा कि आप दोनों एक साथ डॉक्टर के पास जाएं। इससे आपके रिश्ते को काफी फायदा होगा।
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साथी से लें मदद
यदि आपको बायपोलर डिस्ऑर्डर है, तो आप अपने व्यवहार के बारे में अपने साथी से बात करें। उससे पूछें कि दिन ब दिन आपके व्यवहार में किस प्रकार का बदलाव आ रहा है। उसकी बात ध्यान से सुनें। आप दोनों मिलकर किसी रोमांचक जगह पर घूमने भी जा सकते हैं। आपका और आपके साथी का सकारात्मक व्यवहार ही इस बात को पुख्ता कर सकता है कि आप दोनों फिर एक बार खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
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आशावान रहें
बायपोलर डिस्ऑर्डर के दौरान रिश्ता बनाये रखने के लिए जरूरी है कि आप आशावान रहें। और बातचीत के दरवाजे बंद न करें। हालात चाहे कितने ही मुश्किल क्यों न हो, आगे बढ़ने के लिए आप दोनों को हमेशा जोर लगाते रहना चाहिए।