बायपोलर डिस्ऑर्डर का आपके सेक्स जीवन पर क्या असर पड़ता है ?
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बायपोलर डिस्ऑर्डर और सेक्स लाइफ
सेक्स मनुष्य की एक बुनियादी जरूरत है। जिस तरह हमें खाने और सोने जैसी बुनियादी चीजों की आवश्यक्ता होती है, सेक्स भी मानव के जरूरी है। ये वे चीजें हैं जो हमें जीवन में खुशी देती हैं। लगभग सब कुछ इन तीन चीजों से कहीं-न-कहीं जुड़ा होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश बायपोलर डिस्ऑर्डर व इसकी चिकित्सा इन तीन को प्रभावित कर सकते हैं। बायपोलर डिस्ऑर्डर व इसके इलाज के प्रभाव से आपको नींद आ भी सकती है और नहीं भी, भूख लग भी सकती है और नहीं भी। और ठीक यही सेक्स लाइफ के साथ भी हो सकता है। इन चीजों के प्रति इच्छा तेज भी हो सकती है और धीमी भी।
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क्या है बायपोलर डिस्ऑर्डर
बायपोलर डिस्ऑर्डर एक मानसिक रोग है। इस बीमारी में रोगी के मस्तिष्क का नियंत्रण बिगड़ जाता है। जब व्यक्ति ज्यादा खुश रहता है तो उसे 'मेनिया' कहते हैं। 'मेनिया' में मरीज ज्यादा प्रसन्न होने के कारण वह खुद को बढ़ा-चढ़ाकर देखता है। अधिक सजना-संवरना, नई-नई चीजें खरीदना, नए काम शुरू कर देना, खुद को शक्तिशाली या अधिक धनवान मानने लगना आदि इसके कुछ प्रमुख लक्षण हैं। जब मरीज को ऐसा करने से रोका जाता है तो वह बेहद गुस्सा हो जाता है या मारपीट भी करने लगता है।
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बहुत ज्यादा सेक्स करने की चाहत
सेक्स मजेदार है, यह सुखद है, जो की अच्छी बात भी है। लेकिन दुर्भाग्यवश, ये गहन सुख कुछ ऐसा है जो उस पीढ़ी हाइपोमेनिक या मेनिक स्थिति के कारण होता है। इस स्थिति के हाइपरसेक्सुअलटी (अतिकामुकता) के रूप में जाना जाता है। इसके चलते रोगी में सेक्स के लिए झटपटाहट और आक्रामकता और उत्तेजना की भावना आती है और जिस कारण लापरवाह यौन व्यवहार और कभी कभी संबंधों और विवाह के टूटने की नोबत आ जाती है।
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बताने से डरते हैं लोग
हाइपरसेक्सुअलटी लोगों के लिए गोपनीयता और चिंता का विषय है। इससे पीड़ित लोग इस बात को मानने और स्विकार करने से डरते हैं। वे ये मानते और बताते डरते हैं कि उनका मूड उन्हें उन इच्नछाओं की और ले जाता है, जिसे वे करना ही नहीं चाहते और ये उनके जीवन को बर्बाद कर सकती हैं।
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क्या है हाइपरसेक्सुअलटी
सेक्स की तीव्र इच्छा और हर वक्त सेक्स के बारे में सोचते रहने के कारण अधिक सेक्स करने को हाइपरसेक्सुअलटी कहा जाता है। इसस व्यक्ति का काम, रिश्ते और सामाजिक स्तर व संम्मान प्रभावित होता है। हाइपरसेक्सुअलटी वाला व्यक्ति कई बार ऑफिस में भी सेक्स के बारे में ही सोचता रहता है। इस कारण सेक्स सबंधित फेंटसी अवसाद को और ज्यादा बढ़ा देती है।
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हाइपरसेक्सुअलटी के कारण
डिप्रेशन (अवसाद) और सेक्स के बीच सबंधं को लकेर हुई शोध से हाइपरसेक्सुअलटी, बायपोलर डिस्ऑर्डर और तनाव के बीच संबंध की बात के बारे में पता चलता है। आमतौर पर माना जाता रहा है कि चिंता और अवसाद के कारण लोगों में सेक्स करने की इच्छा कम होती है। लेकिन मुंबई के एक अस्पताल में हुए एक शोध से पता चला था कि चिंता से मुक्त होने के लिए लोग अधिक सेक्स करते हैं और जिस कारण वे 'हाइपरसेक्स' का शिकार हो जाते हैं।
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सेक्स ना करने की इच्छा
बायपोलर डिस्ऑर्डर इसका उलट भी हो सकता है। जहां एक ओर 'मेनिया' सेक्स की इच्छा को बढ़ावा दे सकता हैं, अवसाद यौन इच्छा को खतम भी कर सकता है। इस समस्या के साथ कुछ लोगों को सेक्स कल्पना करने में कठिनाई हो सकती है और यौन विचार गायब हो सकते हैं। इसमें कुछ ऐसा होता है कि रोगी के दिमाग में हर समय बस असकी दादी मां की तस्वार ही घूमती रहे....या ऐसा ही कुछ और। बस रोगी सेक्स के बारे में नहीं सोच पाता और क्स के विचार अनाकर्षक हो जाते हैं।
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दवाओं का असर
दुखद तो यह है कि इस मानसिक बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं रोगी की सेक्स इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं। वहीं हो सकता है कि इस दवाओं के प्रभाव से रोगी में सेक्स के प्रति और ज्यादा उत्तेजित पैदा हो जाए। लेकिन इन दवाओं से रोगी की सेक्स लाइफ किसी ना किसी तरह प्रभावित होने की संभावना रहती ही है।
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ऐसा भी हो सकता है
हो सकता है कि दवाओं के इस्तेमाल के कारण रोगी की सेक्स या चरमोत्कर्ष करने की क्षमता के लिए इच्छा चली ही जाए। ये चिंताजनक स्थिति महिला या पुरुष किसी के भी साथ हो सकती है।
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सेक्स के बारे में चिंताएं
दुर्भाग्यवश न तो रोगी और ना ही डॉक्टर बायपोलर डिस्ऑर्डर की चिकित्सा के कारम सेक्स पर होने वाले प्रभाव को तरजिह देते हैं। और कई रोगियों को यह स्वास्थ्य समीकरण का हिस्सा नहीं लगता। लेकिन लंबी अवधि तक एक दवाओं पर रहने का मतलब है साइड इफेक्ट होना। और अगर अपने प्रेमी के साथ यौन संबंध के लिए असमर्थता उन दुष्प्रभावों से एक है तो यह स्वीकार्य नहीं हो सकता।
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क्या कर सकते हैं
एक अच्छे साथी के नाते आपकी इस समस्या से निपटने के लिए कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं, जैसे इसके प्रति जागरूक रहें और संबंधित जानकारियां रखें, लक्षण और संकेतों पर ध्यान दें, दवाओं के साइड इफैक्ट्स की जानकारी रखें, यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव से अवगत रहें, इसके बारे में खुल कर बात करें और पेशेवर की मदद लें।