प्रेगनेंसी महिलाओं के जीवन के सबसे खूबसूरत पलों मे से एक होता है क्योंकि वो एक ज़िंदगी को दुनिया मे लाने वाली होती है, इसके बाद वो अपनी ज़िंदगी के एक बिल्कुल नये दौर मे कदम रखती है जो उसके लाइफस्टाइल, एमोशन्स, रिलेशनशिप को बदल कर रख देती है
जिस समय प्रेगनेंसी कन्फर्म होती है उसी वक़्त से बच्चे के आने की तैयारियाँ शुरू हो जाती है हालाँकि देखा जाए तो पहले हफ्ते मे प्रेगनेंसी का कोई संकेत महिलाओं को नही नज़र आता, ना महिलाओं का पेट फूलता ना बच्चे के हिलने का पता लगता आदि, कुछ महिलाओं को मूड बदलाव होने की शिकायत हो सकती है लेकिन प्रेगनेंसी की पुष्टि केवल अल्ट्रासाउंड से की जा सकती है
जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसे वैसे ही वो अपनी मौजूदगी का एहसास कराने लगता है लेकिन महिलाओं के साथ ही उनके पति भी बच्चे की किक सोलहवे हफ्ते से सुन सकते हैं बच्चे की यह किक किसी गैस बबल की तरह पेट मे पता चलती हैं कभी कभी इन्हे पेट मे स्माल बटरफ्लाई भी कहते हैं ज़्यादातर केस मे माताओं को बच्चों का यह हलचल पता नही चलता और वो इसे गैस समझ बैठती हैं
बीसवे हफ्ते तक ज़्यादातर महिलाओं को फीटल किक्स के बारे मे पता चल जाता है बल्कि इस समय तक एक माँ को अपने बच्चे के सोने और जागने की साइकल का भी पता लग जाता है ऐसा कई महिलाओं मे देखा गया है की उन्हे पहले फीटल किक का एहसास करीब चौबीस हफ्ते बाद होता है लेकिन यह बिल्कुल सामान्य है क्योंकि हर महिला की बनावट अलग अलग होती है और कई हद तक यह अमीनो फ्लूईड की मात्रा पर भी निर्भर करता है
याद रखें की कभी भी बेबी की फीटल किक्स कि तुलना दूसरे बच्चे से ना करें, क्योंकि हर बच्चा अलग होता है कुछ बच्चे काफ़ी चुस्त होते हैं तो किक्स ज़्यादा होती हैं जिससे कभी कभी माँ को लगता है की शायद अंदर कोई फुटबाल मैच चल रहा है, लेकिन कुछ बच्चे सुस्त होते हैं जो ज़्यादा हरकतें नही करते इस कारण माँ को उनकी चिंता होने लगती है !
बत्तीसवे हफ्ते तक फीटल किक काफ़ी ज़्यादा होने लगते हैं लेकिन उसके बाद धीरे धीरे इसमे कमी आने लगती है क्योंकि बच्चा फुल ग्रोन हो जाता है और ज़्यादा हिलने के लिए उसके जगह नही रहती, इन कारणों से बच्चे को हिलने डुलने मे भी मुश्किल होती है !
चौबीस घंटे के अंतराल मे बच्चे की एक्टिविटीज- यूटरस के अंदर ज़्यादातर बच्चे तभी एक्टिव रहते हैं जब माँ विश्राम कर रही होती हैं और जब माँ उठी होती है तो वह आराम कर रहे होते हैं जब माँ जागी हुई होती है तो उसकी बॉडी नेचुरल स्विंग मे होती है और बच्चा इनएक्टिव हो जाता है लेकिन जब माँ आराम करती है तो यह स्विंग रुक जाता है इसी कारण बच्चा उठ जाता है इसलिए उसकी हलचल बढ़ जाती हैं ख़ासतौर से खाना खाने के बाद बच्चे की हरकतें बढ़ जाती है क्योंकि खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जो बच्चे को ताक़त प्रदान करता है और बच्चे की हरकतों मे बढ़ोतरी देखी जाती है
आख़िर मे यही कहेंगे कि एक फेटस खाने के बाद सबसे ज़्यादा एक्टिव होता है जब माँ आराम कर रही होती है।
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